सजगजा और सावधानी से कोरोना को रोका जा सकता है, मुरैना के लोलकी गांव ने पेश की है मिसाल

सजगजा और सावधानी से कोरोना को रोका जा सकता है, मुरैना के लोलकी गांव ने पेश की है मिसाल

कोरोना की पहली लहर में कई गांव में लोग बीमार हुए थे, मगर लोलकी के लेागों ने दूसरी लहर के दौरान पिछली गलतियों को नहीं दोहराया, उसी का नतीजा है कि अब तक यहां कोरोना दाखिल नहीं हो पाया है

मुरैना, 5 मई (आईएएनएस)| देश के अन्य हिस्सों के साथ मध्य प्रदेश में भी कोरोना का संक्रमण बना हुआ है, शहरी इलाका हो या ग्रामीण हर तरफ से कोरोना से संक्रमित होने और मौतों का सिलसिला जारी रहने की खबरें आ रही हैं, मगर मुरैना जिले का लोलकी गांव ऐसा है जहां के लोगों ने अपनी सजगता और सावधानी की बदौलत इस महामारी को अपने गांव में प्रवेश करने से रोक रखा है। कोरोना की पहली लहर में कई गांव में लोग बीमार हुए थे, मगर लोलकी के लेागों ने दूसरी लहर के दौरान पिछली गलतियों को नहीं दोहराया, उसी का नतीजा है कि अब तक यहां कोरोना दाखिल नहीं हो पाया है। इसकी वजह स्व-अनुशासन को माना जा रहा है।
लोलकी गांव की आबादी एक हजार है, यहां पिछली लहर में 12 कोरोना संक्रमित सामने आए थे, लेकिन गांव वालों से कोरोना गाइड लाइन को अपनी ढाल बनाया और अब 13 माह में एक भी कोरोना पॉजिटिव उनके गांव में नहीं आया है। ग्राम पंचायत रूअर के गांव लोलकी ने शहरों के लिए भी मिसाल प्रस्तुत की है।
इस गांव में कोरोना संक्रमण के लिए अनुशासन का पालन किया गया , बिना वजह घर और गांव से बाहर नहीं जाने का लागू किया गया है। इसके अलावा सभी लोग घर से बाहर गांव में भी निकलते हैं तो मास्क का उपयोग नहीं भूलते हैं। वहीं सार्वजनिक कार्य के दौरान भी सोशल डिस्टेसिंग का बखूबी पालन कर रहे हैं। गांव में चौपाल पर या किसी छप्पर में भी बैठते हैं तो कोरोना गाइड लाइन का पूरा पालन करते हैं। गांव के लोग सतर्कता और संयम रूपी हथियार से लैस हैं और इसी वजह से कोरोना वायरस इस गांव में घुस नहीं सका है।
इतना ही नहीं गांव के लोगों ने बाहर से आने वाले लोगों को भी खास तरजीह देना बंद कर दिया है। बाहर काम करने वाले गांव के लोग यदि वापस लौटते हैं तो उनके लिए कड़े नियम बनाए गए हैं। उन्हें पहले गांव के बाहर स्कूल, निजी नलकूप या अन्य ऐसी ही एकांत जगह पर क्वारंटाइन किया जाता है। तीन से पांच दिन में कोई लक्षण नजर नहीं आने पर उन्हें गांव में आने दिया जाता है और लक्षण नजर आने पर जांच कराई जाती है। पिछली बार गांव के लोगों ने यह लापरवाही बरती थी और बाहर से आए एक दर्जन लोग कोरोना संक्रमित मिले थे।
कोरोना की जांच करते स्वास्थकर्मी
गांव के लोग बताते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान ग्रामवासियों ने काफी लापरवाही बरती। नतीजा यह रहा कि गांव में 12 से अधिक कोरोना के मरीज मिले। संक्रमण की पहली लहर कमजोर पड़ने के बाद भी यहां के लोगों ने बेवजह घर से बाहर नहीं निकलने के नियम का पालन किया। अगर कहीं जाते भी थे तो सावधानी और सतर्कता के साथ रहते थे। यही नहीं गांव में आने वाले हर लोगों पर ग्रामीणों की पैनी नजर रहती है और बिना मास्क के गांव में प्रवेश नहीं दिया जाता है।
गांव के लोग सोशल डिस्टेंस और मास्क का पालन करते हैं, इसलिए अभी तक बचे हुए हैं। गांव के बाहर स्कूल आदि स्थानों पर क्वारंटाइन सेंटर बनाया है। समय-समय पर हाथों को सैनिटाइज करते रहते हैं।
ऋषि तोमर बताते हैं कि संक्रमण के दौर में गांव को सुरक्षित करने के लिए गांव के लोगों ने शहर के लोगों से दूरी बना ली है। सभी ने अपने-अपने रिश्तेदारों को फिलहाल इस समय में उनके गांव न आने के लिए कहा है। साथ ही, गांव से लोगों ने अभी तक शादियों और बारात में जाने से भी परहेज किया है।
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