पिता के अंतिम संस्कार में से उठ कर गई थी युवती, पहले ही प्रयास में पास की बैंक की परीक्षा
By Loktej
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कड़ी मेहनत और मजबूत निश्चयशक्ति की मिसाल है साक्षी
आए दिन हम सभी कहते है की मेहनत का कोई पर्याय नहीं होता। पर कभी कभी कुछ लोगों की कहानियाँ सुनकर उनकी मेहनत के साथ उनके जज्बे को भी सलाम करने का मन करता है। आज हम जिस युवती की कहानी आपको बताने जा रहे है, उसकी कहानी भी कुछ ऐसी ही प्रेरक है। आज हम कहानी बता रहे है उस युवती की जिसने अपने पिता की जलती हुई चीता को छोडकर अपनी परीक्षा देने जाना पड़ा और अंत में उसका सिलेक्शन भी हो गया।
रांची के बिशुनपुर रोड पर रहने वाली स्व. शैलेंद्र लाल और शशि सिन्हा की पूर्ति साक्षी श्रीवास्तव का सिलेक्शन केनेरा बैंक के PO के पद के लिए हो गया है। बता दे की साक्षी को अपनी IBPS की परीक्षा में बैठने के लिए अपने पिता की अंतिम संस्कार में से उठ कर आना पड़ा था। जिसके बाद साक्षी ने पहले ही प्रयास में अपनी परीक्षा पास कर ली। इसके पहले साक्षी की बड़ी बहन स्नेहा श्रीवास्तव साल 2015 में बैंक ऑफ बरोडा में PO के पद पर सिलेक्ट हुई थी।
कहते है की लड़कियां अपने पिता पर भाररूप होती है। पर उनकी इन दोनों बेटियों ने अपने क्षेत्र में आगे आई थी। इसके अलावा शेलेन्द्र लाल की लाश को मुखाग्नि देने का फर्ज उनकी सबसे छोटी बेटी समृद्धि श्रीवास्तव ने अदा कर उनके बेटे की कमी को भी पूरा करते हुये समाज को नई राह दिखाई थी। इस तरह तीनों बेटियों ने अपने पिता का नाम रोशन कर बेटियों को पिता के सर का भार समझे जाने वाली विचारधारा को तोड़ा था। माता शशि सिन्हा का कहाँ है की पिता की मृत्यु के बाद बेटियों के साथ सभी के चेहरे पर से हंसी गायब हो गई थी। पर पुत्री की इस सफलता के बाद वह हास्य लौट आया था।