कोरोना से रक्षा और गुमशुदा बच्चों को ट्रैक करेगा स्कूल बैग

कोरोना से रक्षा और गुमशुदा बच्चों को ट्रैक करेगा स्कूल बैग

2 गज की दूरी कम होते ही बजने लगेगा सेंसर, बच्चे के गुम होने पर भी कारगर साबित होगा बैग

वाराणसी, 5 अप्रैल (आईएएनएस)| कोरोना का कहर एक बार फिर से लोगों पर बरसने लगा है। इसके बढ़ते प्रसार के कारण स्कूल-कॉलेज बंद होने लगे हैं। इन्हीं सबको देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के 11 वीं में पढ़ने वाले छात्र पुष्कर सिंह ने एक ऐसा बैग बनाया है। जो कि ना सिर्फ बच्चों को संक्रमण के कहर से बचाएगा। बल्कि बच्चों के खो जाने पर इसके माध्यम से उसके परिवार और पुलिस की मदद करने में सहायक होगा।
वाराणसी के आर्यन इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाले पुष्कर ने बताया कि, "कोरोना के बढ़ रहे केसों को देखते हुए मैंने एक एंटी कोरोना स्मार्ट बैग का इजाद किया है। यह स्कूल बैग सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो कराने के साथ ही बच्चों के गुम हो जाने पर भी काम करेगा। यह स्कूल बैग वायरस से बचाव में 2 गज की दूरी बनाने में स्कूल कैंपस और आस-पास के इलाकों को अलर्ट करेगा।"
इस डिवाइस बैग के आगे- पीछे 2 अल्ट्रासोनिक सेंसर लगाये गये हैं। बैग को पीठ पर टांगते ही सेंसर  एक्टिव हो जाएंगे। सेंसर एक्टिव होते ही आपके दाएं-बाये दो मीटर के दायरे में आपके नजदीक आने वाले व्यक्ति देखते ही अलार्म बजते  आप सचेत हो जाएंगे। इसके अलावा इसमें एक विषेश प्रकार का बार कोड लगा है, जिसमें बच्चें पिता का नाम, पता और मोबाइल नंबर होगा। यदि आपका बच्चा कहीं खो जाता है। तो उसे इसके जारिए घर पहुंचाने में आसानी होगी।
इसे बनाने में एक सप्ताह का समय लगा है। इसकी लागत 1500-2000 के बीच की है। इसमें ऑर्डिनो, अल्ट्रासोनिक सेंसर, 3.7 वोल्ट बैटरी, अलार्म, पुस स्विच, बार कोड का इस्तेमाल किया गया है। आर्यन इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन विनीत चोपड़ा ने बताया कि कोरोना को देखते हमारे स्कूल के कक्षा 11 वीं के बच्चे पुष्कर ने एक एन्टी कोरोना बैग बनाया है जो कि सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करेगा। साथ ही छोटे बच्चों के गुम होने पर भी यह कारगर सिद्ध होगा। इस बैग की तकनीक को पूरे प्रदेश में इस्तेमाल करने के लिए हमने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियल निशंक और मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखा है।
गोरखपुर के क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र के वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने बताया कि, "यह तकनीक बच्चों की सोशल डिस्टेंसिंग को मेनटेन करने में सहायक होगी। उनकी सुरक्षा और रक्षा करेगी। यह सेंसर बेस तकनीक स्कूलों और कॉलेजों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।