जानिए क्यों इस बच्ची को हर दिन धूप में बैठ कर पढ़ना पड़ता है

जानिए क्यों इस बच्ची को हर दिन धूप में बैठ कर पढ़ना पड़ता है

ऑनलाइन एज्यूकेशन के कारण बच्चों के शिक्षण पर पड़ी है काफी बुरी असर

विश्व भर में कोरोना के कारण सभी सेक्टरों पर काफी असर पड़ी है। प्रवासी मजदूरों के अलावा यदि कोरोना ने सबसे ज्यादा प्रभावित किसी को किया है तो वह है स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी। जब से कोरोना का काल शुरू हुआ है, अधिकतर स्कूलों में ऑनलाइन एज्यूकेशन चालू हो चुका है। पर अभी भी कई गांवों में ऑनलाइन एज्यूकेशन लेने के लिए बच्चों के पास उचित साधन नहीं है, तो कई गाँव में रहने वाले लोगों के गाँव में नेटवर्क की समस्या रहती है। 
तेलंगाना के सरस्वती की कहानी
कुछ ऐसी ही कहानी है तेलंगाना की नन्ही सी बच्ची सरस्वती की, जो अपने नाम के अर्थ को साकार करते हुये पढ़ाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। सरस्वती तेलंगाना के एक आदिवासी समुदाय के साथ जुड़ी हुई और मंचेरल जिले में आई एक निजी स्कूल में पढ़ाई करती है। कोरोना के कारण वहाँ भी ऑनलाइन क्लास ही चल रहे है। हालांकि सरस्वती के गाँव में नेटवर्क की काफी समस्या रहती है। 
पूल पर करती है अपनी पढ़ाई पूर्ण
इसलिए सरस्वती के पिता भगवंत राव रोज उसे ऐसी जगह ले जाते है, जहां मोबाइल का नेटवर्क अच्छी तरह से आता हो। सरस्वती की स्कूल घर से 5 किलोमीटर दूर है और कोरोना के कारण स्कूल बंद है। इसलिए रोज वह पूल पर जाकर बैठती है और अपनी पढ़ाई पूर्ण करते है। 
बता दे की कोरोना के समय कल के दौरान ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से बच्चे कितने आगे बढ़े है, इसके लिए एक सर्वे किया गया था। ज्सिके अनुसार देश में मात्र 41 प्रतिशत लोगों से ऑनलाइन शिक्षा का लाभ उठाया था। देश के पूर्वी इलाके में यह सबसे ज्यादा 67 प्रतिशत, पश्चिम में 49 प्रतिशत, दक्षिण में 38 और उत्तर भारत में 35 प्रतिशत रहे। इसके अलावा 77 प्रतिशत लोगों का कहना है की इस तरह से उनकी पढ़ाई पर ज्यादा नुकसान हुआ है। जिसमें सबसे ज्यादा उत्तर(87 प्रतिशत) और सबसे कम पश्चिम में आकडे है। 
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