राजस्थान: ताबीज बनाने के लिए अभयारण्य के अधिकारी ने ही काटी बाघ की मूंछ
By Loktej
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इलाज के दौरान लाये गए बाघ की मूंछ काट बनवाया ताबीज, मुख्यमंत्री से की गई शिकायत
राजस्थान में बाघों के दीदार के लिए सरिस्का और रणथम्भौर राष्ट्रीय अभ्यारण्य देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं, लेकिन यही सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान अपनी लापरवाही के लिए कुख्यात भी है। यहां लापरवाही का एक और मामला सामने आया है। यहां के एक वन अधिकारी ने ताबीज बनाने के लिए एक बाघ की मूंछ काट ली। इस बारे में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक शिकायती पत्र लिखा गया है।
मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की गई शिकायत
इस शिकायती पत्र के अनुसार सरिस्का में बाघ एसटी-6 की मूंछ के बाल काट लिए गए. शिकायत के मुताबिक इसी साल 10 जनवरी को जब बाघ को इलाज के लिए ट्रेंकुलाइज किया गया, तब अफसरों की मौजूदगी में आरएन मीणा नाम के एक अधिकारी ने इस बाघ की मूंछ काट दी।ऐसा कहा जा रहा है कि ताबीज के लिए मूंछ के बाल काटने के दौरान वहां रेंजर और डॉक्टर भी मौजूद थे। आपको बता दें कि वाइल्ड लाइफ एक्ट के शेड्यूल-1 के अनुसार किसी भी वन्य जीव के किसी भी अंग जैसे बाल-नाखून या दांत आदि से छेड़छाड़ अपराध माना जाता है। साथ ही ऐसा करने वाले अधिकारी मीना ने यह भी धमकी दी कि अगर किसी को इस बात की जानकारी मिली तो उसका परिणाम अच्छा नहीं होगा।
आपको बता दें कि बाघ के शिकारियों में बाघ के पंजे और चमड़े के अलावा मूंछ के बालों की मांग रहती हैं। साथ ही ये भी माना जा रहा है कि गले में बाघ के मूंछ को हार या ताबीज बनाकर पहनने की अन्धविश्वास के कारण अधिकारी ने मूंछों को काट दिया होगा। गार्ड द्वारा पत्र में इस बात को सत्यापित करने के लिए वहां आने और बाघ के मूंछों को देखने की बात कही गई है।
81 साल बाद महाराष्ट्र के जंगल में दिखाई दिया एक बाघ
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में गौतम ओटर्मघाट वन्यजीव अभयारण्य स्थित है। 1940 के बाद पहली बार यहं बाघों को देखा गया है। मार्च के दूसरे सप्ताह में यहां एक बाघ देखा गया था। वन अधिकारियों ने बाद में उसकी मौजूदगी के पर्याप्त सबूत जुटाए। बाघों की निगरानी के लिए सात कर्मचारियों की एक टीम तैनात की गई है। एक समय में यहां बाघ थे, लेकिन 1940 से दिखाई नहीं दिए हैं। इस बाघ के दो सौ पचास किलोमीटर दूर दूसरे जंगल से यहां पहुंचने की संभावना बताई जा रही है।
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