अदालत की टिप्पणी; राष्ट्रीय ध्वज के रंगों सहित भारत नक्शे वाली केक काटना अपमान नहीं!

अदालत की टिप्पणी; राष्ट्रीय ध्वज के रंगों सहित भारत नक्शे वाली केक काटना अपमान नहीं!

साल 2013 में हुए एक समारोह में काटी गई थी भारत के नक्शे वाली केक

राष्ट्रीय ध्वज के अपमान से जुड़े एक केस का निर्णय सुनाते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। अपना निर्णय सुनाते हुये कोर्ट ने कहा की राष्ट्र ध्वज या अन्य कोई राष्ट्रीय चिह्नों वाले केक को काटने से या उसे खाने से राष्ट्रीय ध्वज का अपमान नहीं माना जाएगा। 
समारोह में शामिल थे कई बड़े लोग
इसके पहले 25 दिसंबर 2013 के दिन कोइम्बतुर जिले में अशोक चक्र सहित तिरंगे के रंगों से बना हुआ एक विशाल केक काटा गया था। यह केक 1000 बच्चों के सहित ढाई हजार लोगों को बांटी गई थी। इस समारोह में तत्कालीन जिला कलेक्टर, डेप्युटी पुलिस कमिश्नर अलग अलग धर्म के चुनिंदा लोग और कुछ संस्था के प्रतिनिधि भी हाजिर रहे थे। इस दौरान कटे केक को राष्ट्रीय ध्वज का अपमान मान कर डी. सेंथिलकुमार ने शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसके बाद जिला मजिस्ट्रेट ने पुलिस को केस दर्ज करने के लिए कहा था।
कोर्ट ने खारिज किया केस
हालांकि हाइकोर्ट के जज एन आनंद वेंकटेश ने यह केस खारिज कर दिया था। उनके अनुसार यदि हम इस तरह से हर बात को राष्ट्रीय प्रतिकों के अपमान से जोड़ेंगे, तो हर कोई उससे दूर हो जाएगा। कोर्ट ने इस घटना को राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 के उल्लंघन का मानने से भी इंकार कर दिया था। 
कोर्ट ने अपने निर्णय का समर्थन करते हुये कहा कि जब वह समारोह पूरा हुआ तो लोगों के मन में क्या भावना रही, इसका भी ध्यान रखना चाहिए। क्या वह इस महान देश के साथ जुड़े होने से गौरवान्वित थे या उनके मन में केक काटने कि वजह से ध्वज के अपमान की भावना थी। वह दावे से कह सकते है कि लोगों में भारत का नागरिक होने के कारण गौरव की भावना ही होगी। राष्ट्रप्रेम की भावना मात्र बाह्य आचरण से नहीं होती, उसके लिए उसकी भावना होना भी आवश्यक है। 
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