चार महीने बाद भी जारी है रूस-युक्रेन का युद्ध, भारतीय छात्रों की पढ़ाई पर मंडरा रहा खतरा

चार महीने बाद भी जारी है रूस-युक्रेन का युद्ध, भारतीय छात्रों की पढ़ाई पर मंडरा रहा खतरा

युक्रेन से आये छात्रों के लिए विशेष व्यवस्था करने का वादा कर चुकी सरकार नहीं ले रही कोई फैसला

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को अब चार महीने पुरे हो चुके हैं। रूस ने युक्रेन पर पहली बमबारी 24 फरवरी को करते हुए इस युद्ध को शुरू किया था। चार महीने से  लगातार चल रहा ये युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। युद्ध शुरू हो जाने के साथ यूक्रेन में बहुत से भारतीय छात्र फंस गये थे पर भारत और रूस के अच्छे संबंध के कारण ऑपरेशन गंगा के तहत भारत सरकार सभी भारतीय छात्रों को भारत लाने में सफल रही।  युद्ध क्षेत्र से वापस आये भारतीय छात्रों में गुजरात के एक हजार से अधिक छात्र भी शामिल थे।  केंद्र सरकार ने भारत में इन छात्रों के आगे के अध्ययन की व्यवस्था करने का वादा किया था लेकिन निर्णय अभी भी लंबित है और ऐसे में पढ़ाई को हो रहे नुकसान के कारण माता-पिता और छात्रों की चिंता बढ़ रही है।
बता दें कि राजकोट जामनगर सहित गुजरात और देश के छात्र सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से अपने-अपने कॉलेज के संपर्क में हैं। छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई और ऑनलाइन परीक्षा भी पूरी हो चुकी है। छात्र अब स्वतंत्र हैं और सरकार के निर्णय की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं।  सौराष्ट्र के कई सोशल मीडिया छात्र भी साढ़े तीन महीने पहले यूक्रेन में पढ़ाई के दौरान ऑपरेशन गंगा के तहत अपने गृहनगर लौटे थे।  इनमें से कई छात्र मेडिकल के अंतिम वर्ष के छात्र हैं, अब उनकी पढ़ाई अधर में अटकी हुई है।
सौराष्ट्र के छात्रों ने कहा कि यूक्रेन के विश्वविद्यालय ने उन्हें ईमेल से सूचित किया था कि नया सेमेस्टर 1 सितंबर से शुरू होगा और अगर यूक्रेन में स्थिति में सुधार होता है, तो छात्रों को ऑफ़लाइन अध्ययन करने के लिए बुलाया जाएगा और स्थिति अनुकूल नहीं होने पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है। वहीं कुछ माता-पिता का मानना है कि भारत सरकार यूक्रेन से वापस लाये छात्रों को लेकर निर्णय की घोषणा करने में देरी कर रही है। पोलैंड और रोमानिया जैसे पड़ोसी देशों में भी प्रवेश के विकल्प खुले हैं कि आगे क्या करना है। कुछ छात्र पैसों के अधिक खर्च को देखते हुए अब उन देशों में जाने के लिए तैयार नहीं हैं।