10 हजार फुट की ऊंचाई पर बनी ‘अटल टनल’ को मिला वर्ल्ड बुक ऑफ टनल में स्थान

10 हजार फुट की ऊंचाई पर बनी ‘अटल टनल’ को मिला वर्ल्ड बुक ऑफ टनल में स्थान

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में की थी सुरंग के निर्माण की घोषणा, 3 अक्टूबर, 2020 को नरेंद्र मोदी ने किया उद्घाटन

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के मनाली और लाहौल स्पीति को जोड़ने वाली और अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित भारत की सबसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अटल सुरंग रोहतांग का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। समुद्र तल से 10,044 फीट की ऊंचाई पर स्थित अटल टनल को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा आधिकारिक तौर पर दुनिया की सबसे लंबी परिवहन सुरंग के रूप में सम्मानित किया गया है। इस सुरंग की लंबाई 9.02 किमी है। यह पुरस्कार सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने स्वीकार किया। सुरंग का निर्माण बीआरओ द्वारा लगभग 10 वर्षों की अवधि में किया गया है, जो हिमालय में पीरपंजाल की चोटियों को भेदते हुए है। सुरंग के निर्माण में भारतीय और ऑस्ट्रियाई कंपनियों स्ट्रोबेग और एफकॉन ने भी सहयोग किया।
आपको बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में आदिवासी जिले लाहौल-स्पीति के मुख्यालय केलांग में सुरंग के निर्माण की घोषणा की थी। उस समय सुरंग की लागत लगभग 1,500 करोड़ रुपये आंकी गई थी। लेकिन सुरंग के निर्माण में 3,600 करोड़ रुपये की लागत आई। अटल सुरंग के निर्माण के बाद मनाली से चीनी सीमा के पास लेह तक की दूरी को घटाकर लगभग 45 किमी कर दिया गया था। वहीं इस रूट पर यात्रा के समय में कम से कम 5 घंटे की कमी की गई है। वहीं, सर्दी के मौसम में बर्फबारी के कारण बंद रहने वाला आदिवासी क्षेत्र लाहौल 12 महीने से देश से जुड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने 3 अक्टूबर, 2020 को अटल सुरंग रोहतांग का उद्घाटन किया। तब से लेकर अब तक अटल टनल देश भर के पर्यटकों की पहली पसंद बन गई है।
अटल टनल 4जी कनेक्टिविटी देने वाली दुनिया की एकमात्र टनल है। सुरंग में हर 500 मीटर पर एक आपातकालीन सुरंग है जो सुरंग के दोनों सिरों से होकर गुजरती है। आपातकालीन 4जी फोन हर 150 मीटर पर उपलब्ध होते हैं। हर 60 मीटर पर सीसीटीवी है। अटल सुरंग रोहतांग के दोनों सिरों पर पूरी सुरंग का नियंत्रण कक्ष है और वहां से सभी पर नजर रखी जा सकती है।
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