कुलदीप सिंह - 29 साल पाकिस्तान की जेल में रहने के बाद आखिरकार घर लौटे, बताया ये मेरा दूसरा जन्म

कुलदीप सिंह - 29 साल पाकिस्तान की जेल में रहने के बाद आखिरकार घर लौटे, बताया ये मेरा दूसरा जन्म

पाकिस्तान से लगती सीमा के पास वह खेत में काम करने गए थे। लौटते वक्त रास्ता भटक जाने के चलते सीमा पार चले गए थे, पाकिस्तान के सैनिकों ने उसे पकड़ लिया था। उन पर जासूस होने के आरोप लगा काफी प्रताड़ित किया

जम्मू-कश्मीर के कठुआ के रहने वाले कुलदीप सिंह 29 साल पाकिस्तान की जेल में रहने के बाद सोमवार को घर लौटे। पत्नी ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया। इस मौके पर गांव में मिठाई बांटी गई। कुलदीप ने बताया कि पाकिस्तान से लगती सीमा के पास वह खेत में काम करने गए थे। लौटते वक्त रास्ता भटक जाने के चलते सीमा पार चले गए थे। पाकिस्तानी जेल में लगभग 29 साल बिताने के बाद आखिरकार घर लौटे कुलदीप के लिए घर लौटना फिर से जन्म लेने से कम नहीं है। मीडिया से बात करते हुए कठुआ के कुलदीप सिंह ने दुख जताते हुए कहा, 'सीमा पर काम करते हुए मैं खो गया। पाकिस्तान के सैनिकों ने उसे पकड़ लिया था। उन पर जासूस होने के आरोप लगाए गए। काफी प्रताड़ित किया गया।
आपको बता दें कि कुलदीप सिंह की ओर से सरकार से अनुरोध है कि जिन कैदियों ने वहां अपनी सजा पूरी कर ली हैं और जो रिहा होने का इंतजार कर रहे हैं, उन्हें आजादी दी जाए। बता दें कि कठुआ के रामकोट के मकवाल के रहने वाले कुलदीप सिंह 10 दिसंबर 1992 को लापता हो गए थे। उन्हें पाकिस्तान के कोट लखपत सेंट्रल जेल लाहौर में रखा गया था। परिवार के लोगों ने उसकी काफी तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला था। चार साल बाद 1996 में कुलदीप पत्र लिख पाए तब घर के लोगों को पता चला कि वह पाकस्तान के जेल में बंद हैं।  पाकिस्तानी जेल में इतना लंबा समय बिताने के बाद, वह सोचने लगा कि शायद वह कभी अपने वतन नहीं लौटेगा।
गौरतलब है कि 29 साल जेल में बिताने के बाद घर लौटे कठुआ निवासी कुलदीप सिंह का उनके गृहनगर में भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि अगर उन्हें देश के लिए कोई कुर्बानी देने की जरूरत है तो वे पीछे न हटें। पाकिस्तान ने सोमवार को 53 वर्षीय सिंह को औरंगाबाद से मोहम्मद गुफरान के साथ रिहा किया और घर लौटने के बाद, वे रेड क्रॉस भवन में पंजाब के गुरु नानक देव अस्पताल पहुंचे। सिंह को 1992 में गिरफ्तार किया गया था।
सिंह ने कहा कि उन्हें 1992 में गिरफ्तार किया गया था। तीन साल तक पाकिस्तानी एजेंसियों ने प्रताड़ित किया। उन्हें जासूसी के आरोप में अदालत में पेश किया गया और बाद में उन्हें 25 साल जेल की सजा सुनाई गई। कठुआ के बिलावर के मकवाल गांव निवासी सिंह का ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया। उन्होंने उनकी प्रशंसा में पटाखे फोड़े और देशभक्ति के नारे लगाए। वहीं उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि उन्हें पाकिस्तान में सिंह की गिरफ्तारी के बारे में तब पता चला जब उन्होंने लाहौर की कोट लखपत जेल से उन्हें एक पत्र लिखा। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की हत्या के बाद उन्होंने सारी उम्मीद खो दी थी क्योंकि पिछले आठ सालों से उनका कुलदीप सिंह से कोई संपर्क नहीं था।