आठवीं पास यह मंत्री करते थे पहले चाय के खेतों में मजदूरी, अब संभालेंगे महत्वपूर्ण पद

आठवीं पास यह मंत्री करते थे पहले चाय के खेतों में मजदूरी, अब संभालेंगे महत्वपूर्ण पद

उत्तर बंगाल को पश्चिम बंगाल से अलग करने की मांग को लेकर किए विरोध से आए थे सबकी नजर में

कहते है कि सफलता के लिए मात्र पढ़ाई ही नहीं, पर कड़ी मेहनत और काम के प्रति जुनून होना भी अति आवश्यक है। मोदी कैबिनेट में समाविष्ट किए गए जॉन बारला का उदाहरण सबसे उपयुक्त है। मोदी के मंत्रीमंडल के विस्तरण के बाद लघुमती मुद्दों के राज्य मंत्री बनाए गए है। पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार से भाजपा सांसद जॉन बारला कि कहानी काफी प्रेरक है। एक साधारण परिवार में पैदा हुए जॉन बारला के पिता का नाम थॉमस बारला है।
जॉन ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई स्थानीय स्कूल में पूर्ण की, पर गरीबी के कारण उन्हें 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई करने के बाद मजदूरी करनी पड़ी। जॉन ने चाय के बागानों में एक ड्राईवर के तौर पर काम किया। इसके बाद साल 2007 से वह गोरखालैंड विरोधी आंदोलन में शामिल हो गए, जहां वह आदिवासी समाज के एक जाने माने चहरे बनने लगे। इसके बाद ही जॉन को आदिवासी समाज विकास परिषद द्वारा डूयार्स कोओर्डिनेशन कमिटी का अध्यक्ष बना दिया गया। 
साल 2014 में वह भाजपा में शामिल हुये थे। इसके बाद साल 2019 में अलीपुरद्वार चुनाव लड़कर वह चुने गए। कुछ समय पहले ही उन्होंने उत्तर बंगाल को पश्चिम बंगाल से अलग राज्य का दर्जा देने की या उसे केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग की थी। जिसके चलते टीएमसी द्वारा उनके खिलाफ कई केस भी दर्ज किए गए थे। हालांकि इस बार मोदी सरकार द्वारा उन्हें कैबिनेट में स्थान देकर लघुमती समाज के प्रश्नों का हल लाने की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी है। 
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