जानें IIT की स्टडी में कोरोना की तीसरी लहर के बारे में क्या अनुमान लगाया गया है!

आईआईटी-कानपुर के प्रोफेसरों & वैज्ञानिकों ने पेश की तीन रिपोर्ट

देश में धीरे-धीरे कोरोना की दूसरी लहर का असर कम होता दिख रहा है। हर दिन के साथ संक्रमित मामलों की संख्या कम हो रही है। ऐसे में आईआईटी-कानपुर के प्रोफेसरों राजेश रंजन और महेंद्र वर्मा के साथ-साथ उनकी टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि इस साल सितंबर-अक्टूबर में कोरोना की तीसरी लहर का प्रभाव अपने चरम पर देखा जाएगा। आईआईटी कानपुर की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि अगर जनवरी जैसी लापरवाही बरती गई तो कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर और भयावह होगी। मतलब हालात बिगड़ने पर देश में रोज पांच लाख तक केस आ सकते हैं। तीसरी लहर का पीक भी सितंबर में आ सकता है। दूसरी लहर के दौरान देखी गई महामारी के मानदंड के अध्ययन से तीसरी लहर के संबंध में तीन संभावनाएं सामने आई हैं।
आपको बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के असर और 15 जुलाई तक पूरी तरह अनलॉक करने की संभवना को लेते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रो. राजेश रंजन व प्रो. महेंद्र वर्मा ने गणितीय मॉडल सर तैयार किया है, जिसके आधार पर वैज्ञानिकों ने तीन रिपोर्ट पेश की हैं।
इस रिपोर्ट के आधार पर संभावना एक कहती है की तीसरी लहर के प्रभाव का चरम अक्टूबर में आएगा, लेकिन प्रभाव दूसरी लहर में देखे गए उच्च प्रभाव से कम होगा। संभावना दो (वायरस म्यूटेशन के साथ सामान्य स्थिति) इसके आधार पर कोरोना का चरम प्रभाव अन्य लहरों की तुलना में अधिक होने की संभावना है और वह चरम प्रभाव सितंबर में होने की संभावना है। संभावना 3 (सख्त नियंत्रण वाली स्थिति): ऐसी परिस्थितियों में, सख्त सामाजिक दूरी नियंत्रण के साथ तीसरी लहर शिखर अक्टूबर के अंतिम दिनों तक विलंबित हो सकती है। इन परिस्थितियों में तीसरी लहर का प्रभाव भी दूसरी लहर की तुलना में कम रहने की संभावना है।