कोरोना जांच का ये तरीका बढ़िया है, सिर्फ गरारा करो!

कोरोना जांच का ये तरीका बढ़िया है, सिर्फ गरारा करो!

राष्ट्रिय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान ने कोरोना परीक्षण के लिए बनाई नई अनोखी तकनीक

देश भर में फैली हुई कोरोना महामारी ने सभी को काफी परेशान कर रखा है। सरकार द्वारा भी अधिक से अधिक लोगों की कोरोना टेस्टिंग करने की नीति अपनाई गई है। जिसके चलते अधिक से अधिक कोरोना संक्रमितों का पता लगाया जा सके। हालांकि फिलहाल कोरोना के जांच के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रैपिड एंटीजन टेस्ट और आरटी-पीसीआर टेस्ट लोगों को अधिक पसंद नहीं आ रहा। जिसके चलते कोरोना जांच करने के नए नए तरीके ढूँढे जा रहे थे। जिसकी चलते राष्ट्रिय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान(नीरो) ने एक ऐसी तकनीक बनाई है, जिसमें सिर्फ आप को गरारा कर के अपना सैंपल देना होगा और तीन घंटो में आपका रिपोर्ट मिल जाएगा।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की एक घटक प्रयोगशाला में नीरो ने एक ऐसा दृव्य तैयार किया है, जिसकी सहायता से मात्र एक गरारा कर के व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं वह पता लगा सकेगा। इसके लिए आपको बस इस दृव्य को मुंह में लेकर गरारा करना है। गरारा किए इस दृव्य को फिर से लैब में ले जाकर टेस्ट करने से पता चल सकता है कि व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। इस तकनीक को नीरो द्वारा स्टेराइल सैलाइन गार्गल तकनीक नाम दिया गया है। 
इस तकनीक में स्वैब का कलेक्शन करना जरूरी नहीं होगा। इसमें आपको एक ट्यूब होगी, जिसमें सलाइन होगा। जिस किसी को भी कोरोना कि जांच करवानी है उसे मात्र गरारा कर के ट्यूब में थूकना होगा और उसके बाद उसे टेस्टिंग के लिए दे देना होगा। केन्द्रीय स्वास्थय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस तकनीक को सराहना करते हुये इस गैम-चेंजर कहा है। 
यह तकनीक संसाधनों कि कमी वाले ग्रामीण क्षेत्रो में अधिक फायदेमंद होगा। देखा गया है कि कई लोगों को अभी भी कोरोना टेस्ट करवाते वक्त नाक या मुंह में डाली जाने वाली स्वैब कलेकटर सलाई डलवाने से डर लगता है। हालांकि इस तकनीक से लोग काफी आसानी से टेस्ट करवा सकेंगे ऐसा लोगों का मानना है।