कोरोना की बिमारी डायबिटीज को दे सकती है न्यौता, जानें ICMR ने क्या कहा

रेमड़ेसिविर के इस्तेमाल से बढ़ रही है कोरोना के मरीजों मेन शुगर की समस्या

देश भर में कोरोना वायरस के कारण लोग परेशान है। अस्पतालों में इंजेक्शन और ऑक्सीज़न कि काफी कमी सामने आ रही है। इसी बीच इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने अपने के नए बयान में बताया कि कोरोना के कारण सुगर कि बिमारी भी हो सकती है। 
गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईसीएमआर के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि कोरोना वायरस डायाबिटिस कि बीमारी को भी निमंत्रण दे सकता है। यदि आपको संक्रामण के पहले सुगर कि बीमारी ना हो तो बीमारी के बाद आपको सुगर की समस्या हो सकती है। देशभर में बढ़ रहे ब्लैक फंगस के केसों का एक कारण यह भी हो सकता है। गुरुवार को केंद्र सरकार ने तमाम राज्यों को पत्र लिखकर ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने का निर्देश दिया था। राजस्थान सहित तीन देश के अन्य तीन राज्यों ने पहले से ही कोरोना को महामारी की केटेगरी में रख दिया था। 
बता दे की कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में रेमड़ेसिविर का इस्तेमाल किया जाता है। जो की कोरोना के लोड को कम करने में सहायक साबित होता है। हालांकि यह कोरोना का इलाज नहीं है। गुरुवार को विश्व स्वास्थय संगठन ने भी रेमड़ेसिविर को कोरोना के इलाज के लिए इस्तेमाल में ली जाने वाली दवाओं की लिस्ट में से हटा दिया था। ICMR के अनुसार, म्यूकरमाइकोसिस एक फंगल इन्फेक्शन है, जो उन लोगों को निशाना बनाता है जिनकी किसी तरह की दवा चल रही हो या जिनकी रोगप्रतिकारक क्षमता कम हो। ब्लैक फंगस एक गंभीर बीमारी का स्वरूप धरण कर सकती है। जिसके चलते नाक और आँख के हिस्सों में दर्द, सर का दर्द, कफ, सांस लेने में दिक्कत, खून की उल्टी हो सकती है। 
म्यूकरमाइकोसिस होने का असली कारण डायबिटिस के लेवल में लगातार बदलाव होना, स्टेरोइड्स के अधिक इस्तेमाल से इम्यूनिटी में कमी होना, अधिक समय के लिए आईसीयू में रहने से यह बीमारी हो सकती है। बीमारी को रोकने के लिए किसी भी धूलवाली जगह पर मास्क पहनकर जाना चाहिए, माटी में काम करते समय चापल और मोजें पहनकर ग्लव्ज पहनने चाहिए। यदि नाक बंद हो या उसमें से खून या काला पदार्थ निकलने की स्थिति में, चेहरे पर एक तरफ लगातार दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर का संपर्क करना चाहिए।