ज़रूरी नहीं कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर बच्चों को अधिक प्रभावित करेगी ही, जानें एक्सपर्ट ओपिनियन

बच्चों के टीकाकारण के लिए किया जा रहा है परीक्षण, डाटा आने के बाद लिया जाएगा निर्णय

देश भर में कोरोना वायरस की महामारी के बीच ब्लैक फंगस महामारी के बढ़ते केसों ने सभी को चिंतित कर दिया है। ऐसे में दिल्ली एम्स के डिरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने ब्लैक फंगस को रोकने के लिए आक्रामक तौर पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने आगे बताया की यदि कोरोना के केस कम होने लगे तो फंगल संक्रमण के केस कम हो सकते है। 
पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गुरुवार को व्हाइट फंगस के चार केस के बारे में जानकारी मिलने के बाद एम्स के डिरेक्टर ने कहा की सबसे महत्वपूर्ण बात है की म्यूकरमाइकोसिस के कारण त्वचा का रंग फीका पड़ जाता है। क्योंकि वहाँ खून का सप्लाई कम हो जाता है, जिसके कारण वह हिस्सा काला हो जाता है इसलिए इसे लोग ब्लैक फंगस नाम से भी पहचानते है। उन्होंने कहा की जिन लोगों को संक्रमण का खतरा है उन्हें अपना सुगर लेवल नियंत्रण में रखने की जरूरत है। इसके अलावा स्टेरोइड के इस्तेमाल को लेकर भी सावधान रहना पड़ेगा। 
डॉ रणदीप ने कहा की आंकड़े बताते है की स्टेरोइड के इस्तेमाल से बेकटेरिया और फंगल दोनों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। स्टेरोइड के डोज़ और अवधि पर भी बारिकाई से नजर रखने की जरूरत है। व्यसकों की तुलना में तीसरी लहर के बालको पर अधिक प्रभाव के बारे में खाते हुये गुलेरिया ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि तीसरी लहर बालकों को अधिक प्रभावित करेगी। हालांकि वायरस से बालकों को बचाने के लिए सभी उपाय किए जा रहे है। गुलेरिया ने यह भी कहा कि बालकों के टीके के लिए अभी परीक्षण किया जा रहा है। जिसके डाटा के आने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।