कोरोना से डरें नहीं तुरंत इलाज शुरू हो इसके लिये त्वरित टेस्ट कराएं, जानें क्या कहना है एक्सपर्ट का

कोरोना से डरें नहीं तुरंत इलाज शुरू हो इसके लिये त्वरित टेस्ट कराएं, जानें क्या कहना है एक्सपर्ट का

कोरोना को समझदारी से ही हराया जा सकता है, मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और वैक्सीन ही एकमात्र इलाज

बीते एक साल-डेढ़ साल से देश भर में कोरोना का आतंक है। बीते दो महीने में कोरोना का संक्रमण बहुत बढ़ चुका है। देश के कई राज्य आपातकालीन परिस्थितियों में पहुँच चुके है। वर्तमान में देश भर में व्याप्त कोरोना ने हजारों लोगों की जान ले ली है और यह स्थिति दिन-प्रति-दिन बिगड़ रही है। इस महामारी ने लोगों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से बहुत ही ज्यादा प्रभावित किया है। ऐसे में हमें इस महामारी से सावधानी के साथ लड़ना होगा। 
वर्तमान समय में लोग कोरोना से जुड़े कई सवाल पूछ रहे हैं, जैसे कि डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? कौन सी दवा लेनी चाहिए? क्या टीका लेना है या नहीं? इन सभी सवालों के जवाब कोविड टास्कफोर्स के सदस्य डॉ अतुल पटेल ने दिए। डॉ अतुल पटेल के अनुसार, एक अध्ययन के अनुसार, कोरोना के 80% रोगियों में सहज रिकवरी होती है, जिसका अर्थ है कि रोगी को बुखार, सिरदर्द, अंगों में दर्द है और ये लक्षण शुरू में तीन से पांच दिनों तक रह सकते हैं और फिर रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली और शारीरिक ताकत के कारण रोग के लक्षण दूर हो जाते हैं और रोगी ठीक हो जाता है।
ऐसे में जब आपको बुखार या अन्य लक्षण दिखाई देते हैं, तो सबसे पहले आपको अपने कोरोना का परीक्षण करवाना चाहिए। इसके लिए आप रैपिड एंटीजन टेस्ट या आरटी-पीसीआर टेस्ट करवा सकते हैं। इसका कारण यह है कि इसी से सही जानकारी होगी और सही निदान समय पर या क्वारंटाइन जैसी अन्य एहतियाती उपाय तुरंत किए जा सकते हैं।' गुजरात सरकार के कोविद टास्क फोर्स के सदस्य और अहमदाबाद के स्टर्लिंग अस्पताल के संक्रामक प्रभाग के निदेशक डॉ अतुल पटेल लोगों से अपने परिवार या अन्य संपर्कों को बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए ऐसे सावधानी पूर्वक कदम उठाने का आग्रह करते हैं।
डॉ अतुल पटेल कोरोना से जुड़े अध्यन के बारे में बताते है कि एक अध्ययन के अनुसार, कोरोना वाले 80 प्रतिशत रोगियों में रिकवरी सहज हो जाती है, जिसका अर्थ है कि पहले तो रोगी को बुखार, सिरदर्द, अंगों में दर्द जैसे लक्षण शुरू में तीन से पांच दिनों तक रह सकते हैं और फिर इस बीच रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली बीमारी को प्रभावित करती हैं, नतीजतन इस बीमारी के लक्षण दूर हो जाते हैं और स्वतः रिकवरी हो जाती है। ऐसे मरीज 10 से 14 दिनों में पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। ऐसे में ये लोग 14 दिनों तक क्वारंटाइन होने बाद सामान्य जीवन में लौट सकते हैं। साथ ही जो लोग बहुत स्वस्थ हैं, उन्हें अनावश्यक रूप से अतिरिक्त दवाएं नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि इन सभी दवाओं के दुष्प्रभाव होते हैं। जो आगे जाकर  कुछ लक्षणों का कारण बनते हैं और उन लक्षणों के कारण हमें लगता है कि कोरोना हो गया है। ऐसे लक्षणों पर अनावश्यक रूप से घबराने की आवश्यकता नहीं है। डॉ अतुल पटेल का कहना है कि अगर मरीज को लंबे समय तक तेज  बुखार रहे और बुखार पैरासिटामोल से नियंत्रण में नहीं आए, तो उसे तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। साथ ही यदि व्यक्ति की साँस चढ़ रही है या उसे श्वांस लेंने में समस्या है तो उसे समय बर्बाद किए बिना तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसी तरह,यदि किसी मरीज के लिए ऑक्सीमीटर पर 94 से कम आंकड़ा दिखाता है, उसे समय बर्बाद किए बिना तुरंत भर्ती किया जाना चाहिए।
इसके बाद किसी संक्रमित व्यक्ति को उपचार की आवश्यकता कब है? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए डॉ अतुल पटेल का कहना है कि जब किसी मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 94 से कम होता है, तो उसे ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत होती है। यह एक उपचार देने के लिए एक संकेत है। साथ ही उन्होंने बताया कि रेमड़ेसिविर मात्र एक दवा है जिसे प्रत्येक कोरोना रोगी को लेने की आवश्यकता नहीं है। यह मात्र एक सहायक है, ये कोई दवा नहीं है। इस इंजेक्शन के बारे में गलत धारणा को दूर करना होगा। वैक्सीनेशन के बारे में टीकों के बारे में डॉ अतुल पटेल कहते हैं, वर्ष 2021 में इस बीमारी से बचाव के लिए हमारे पास वैक्सीन के रूप में एक बेहतरीन हथियार हैं।
सभी नागरिकों को टीका लगवाना चाहिए। इससे संक्रमण को रोका जा सकता है। वैक्सीन लगवाने के बाद आने वाले बुखार के बारे में उन्होंने कहा कि आमतौर पर एक वैक्सीन लगाने के बाद शरीर में वो पदार्थ जिसे हमने कोरोना से बचाने के लिए वैक्सीन में इंजेक्ट किया है वो संक्रमण की पहचान करके प्रतिक्रिया करता है जिससे हमें अंगों में दर्द और बुखार होता है। यह एक आम दुष्प्रभाव है। यह साइड इफेक्ट नहीं है, बल्कि एक प्रभाव है, क्योंकि टीका कोरोना संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ सकता है।'
इसके साथ साथ डॉ अतुल पटेल एसएमएस यानि सोशल डिस्टेंस, मास्क और सैनिटाइजेशन को सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं। उन्होंने कहाँ कि  हमें सामाजिक दूरी को अपनी दैनिक जीवन प्रक्रिया का हिस्सा बनाने की आवश्यकता है। साथ ही हमें बार-बार हाथों को धोते रहना चाहिए। खासतौर पर जब हम ऑफिस से घर आते हैं, तो सबसे पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए फिर हमें घर के अंदर कोई अन्य गतिविधि करनी चाहिए।