पाकिस्तान से भारत लाई गई मूक-बधिर लड़की गीता अपपी मां से तो मिल गई, लेकिन अब भी ये छोटी सी दूरी पार करनी शेष!

पाकिस्तान से भारत लाई गई मूक-बधिर लड़की गीता अपपी मां से तो मिल गई, लेकिन अब भी ये छोटी सी दूरी पार करनी शेष!

गीता को लगभग 5 साल पहले 26 अक्टूबर 2015 को पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज की पहल पर पाकिस्तान से इंदौर लाया गया था। वह पांच साल तक इंदौर में रही।

संदीप पौराणिक 
इंदौर/औरंगाबाद, 12 मार्च (आईएएनएस)| पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों से पाकिस्तान से लाई गई मूक-बधिर लड़की गीता को अपनी मां मिल गई है। हालांकि अब भी दोनों के रिश्तों की पुष्टि होने में डीएनए टेस्ट की दूरी रह गई है।
पांच साल पहले पाकिस्तान से इंदौर लाया गया था
गीता को लगभग 5 साल पहले 26 अक्टूबर 2015 को पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज की पहल पर पाकिस्तान से इंदौर लाया गया था। वह पांच साल तक इंदौर में रही। कुछ समय तक मूक बधिर संगठन में अस्थायी आश्रय मिला, फिर 20 जुलाई 2020 से गीता, आनंद सर्विस सोसायटी के पास थी।
लगातार खोज के बाद पता चला गीता महाराष्ट्र की थी
मूल रूप से गीता कहां की थी और उसके मां-बाप कौन हैं, इसके लिए आनंद सर्विस सोसायटी के ज्ञानेंद्र पुरोहित और उनकी पत्नी मोनिका ने लगातार खोज जारी रखी और आखिरकार वे यह जानने में सफल रहे कि गीता महाराष्ट्र के परभणी से लापता हुई थी। उसी के आधार पर गीता को जनवरी माह में महाराष्ट्र ले जाया गया था। अब औरंगाबाद के वाजुल की मीना पांद्रे ने दावा किया है कि गीता उनकी बेटी है। उन्होंने गीता के पेट पर जलने का निशान होने की पहचान भी बताई, जो सच है।

पांच साल की लगातार खोज के बाद पता चला गीता महाराष्ट्र की रहने वाली है।
मोनिका पुरोहित ने आईएएनएस से चर्चा के दौरान कहा कि, "बेटी को किस अंग में क्या चोट लगी है, इसे सबसे पहले मां ही जानती है। मीना ने गीता के शरीर पर जलने के जिस स्थान के बारे में बताया है, वह सही है। अब मां और बेटी के रिश्ते की पुष्टि होने के लिए केवल डीएनए टेस्ट होना ही बाकी है।"
गीता ने ये संकेत दिया था
ज्ञानेंद्र और मोनिका पुरोहित ने आईएएनएस से कहा कि गीता ने उन्हें बताया था कि वह जिस जगह पर रहती थी, वहां के रेलवे स्टेशन पर हिंदी और अंग्रेजी में लिखा होता था। साथ ही उसके घर के पास गन्ने और मूंगफली की खेती भी होती थी। इस बात से यह पुष्टि हुई थी कि गीता महाराष्ट्र की रहने वाली है। साथ ही गीता ने यह भी बताया था कि वह एक ऐसी ट्रेन में बैठी थी, जिसका एक जगह इंजन बदला जाता है और दूसरी जगह पहुंचने के बाद जब उसने ट्रेन बदली तो वह पाकिस्तान पहुंच गई थी।
परभणी को लोकेशन ऐसे ट्रेस हुआ
मोनिका पुरोहित बताती हैं कि, "उन्होंने इस आधार पर तहकीकात की तो पता चला कि सचखंड एक्सप्रेस नांदेड़ से अमृतसर जाती है और परभणी पर उस समय आती है जो समय गीता ने बताया था। इतना ही नहीं लगभग डेढ़ घंटे बाद अन्य स्टेशन पर गाड़ी का इंजन भी बदला जाता है। इसके अलावा गीता ने रेलवे स्टेशन पर हिंदी और अंग्रेजी में लिखे होने की बात कही थी। उसे भाषा ज्ञान बेहतर नहीं है इसलिए संभावना इस बात की बन रही थी कि मराठी को ही वह हिंदी समझी थी। इसके साथ ही उस इलाके में मूंगफली और गन्ने की खेती होती है। गीता ने संबंधित गाड़ी के दूसरे स्थान पर पहुंचने से दूसरी गाड़ी की बात का पता किया गया तो, सचखंड एक्सप्रेस जिस समय अमृतसर पहुंचती है, उसके बाद वहां से समझौता एक्सप्रेस पाकिस्तान को जाती थी। लिहाजा सारी चीजें एक-दूसरे से मेल खा रही थीं।"
पिछले दिनों मीना ने गीता के अपनी बेटी होने का दावा किया था। उसी के आधार पर गीता को मूक बधिरों की सस्था पहल फाउंडेशन को सौंपा गया था। अभी गीता वहीं है। वहीं गीता के पिता का निधन होने के कारण उसकी मां मीना ने दूसरी शादी कर ली थी।
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