ऑटोमोबाइल्स : आज से हो सकती हैं नए युग की शुरुआत, टोयोटा लॉन्च करने जा रही फ्लेक्स-फ्यूल तकनीक द्वारा संचालित कार

ऑटोमोबाइल्स : आज से हो सकती हैं नए युग की शुरुआत, टोयोटा लॉन्च करने जा रही फ्लेक्स-फ्यूल तकनीक द्वारा संचालित कार

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में भारत की पहली फ्लेक्स-फ्यूल कार लॉन्च की जाएगी

देश में आज से नए युग की शुरुआत होगी। आज देश को टोयोटा द्वारा अपनी पहली फ्लेक्स-फ्यूल कार मिलने वाली है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में भारत की पहली फ्लेक्स-फ्यूल कार लॉन्च की जाएगी। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी टोयोटा की नई कार से जुड़ी एक नई परीक्षण परियोजना शुरू करेंगे जो फ्लेक्स-फ्यूल तकनीक द्वारा संचालित होगी। कार के मॉडल के नाम का अभी खुलासा नहीं किया गया है। हालाँकि, विभिन्न रिपोर्टों से पता चलता है कि टोयोटा एक लचीले ईंधन विकल्प के रूप में भारतीय बाजार में हाइब्रिड कैमरी या हाइब्रिड कोरोला पेश कर सकती है।

नई कार में मजबूत हाइब्रिड तकनीक होने की उम्मीद है और यह 2।0-लीटर पेट्रोल इंजन के साथ आ सकती है जो E85 इथेनॉल पर चलने में सक्षम है। टोयोटा की फ्लेक्स फ्यूल कारें वर्तमान में ब्राजील जैसे बाजारों में न सिर्फ उपलब्ध है बल्कि इसकी मांग जोरो पर हैं। ब्राजील में भी बड़ी मात्रा में शुगर प्रोडक्शन होता है, इसलिए वहां भी टोयोटा फ्लेक्स फ्यूल वाली कार लॉन्च कर चुकी है।  चूंकि अब टोयोटा ये कार पेश कर रही है, तो माना जा सकता है कि आगे इस तरह की और कारें देखने को मिलेंगी।

फ्लेक्स ईंधन प्रौद्योगिकी


फ्लेक्स-ईंधन संगत कारें एक से अधिक प्रकार के ईंधन या इथेनॉल या मेथनॉल के साथ गैसोलीन के मिश्रण पर चल सकती हैं। फ्लेक्स-फ्यूल कार इंजन स्वचालित रूप से किसी भी ईंधन अनुपात के लिए समायोजित हो जाता है, जो कि ईंधन संरचना सेंसर जैसे संशोधनों द्वारा सहायता प्राप्त होता है। ये कार देश के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि सरकार लगातार पेट्रोल पर निर्भरता कम करने की कोशिश कर रही है। जो देश चीनी प्रोडक्शन में आगे हैं, वहां बड़ी मात्रा में ईथनॉल और मेथनॉल मिलता है। ये फ्लेक्स-फ्यूल इंजन 85 प्रतिशत तक इथेनॉल युक्त गैसोलीन (e85 फ्लेक्स फ्यूल) पर चल सकते हैं और ब्राजील, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में पहले से ही उपलब्ध हैं।

85 प्रतिशत तक ईथनॉल वाले पेट्रोल से चलेगी गाड़ी


यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के अनुसार, फ्लेक्स-फ्यूल वाहन अधिक कुशल होते हैं और उच्च इथेनॉल मिश्रणों के साथ ईंधन में त्वरण प्रदर्शन में सुधार होता है। जापानी कंपनी टोयोटा इस कार में 2।0 लीटर का पेट्रोल इंजन ला सकती है, जो E85 के एथनॉल को सपोर्ट करेगा। E85 का मतलब है कि जिस पेट्रोल में 85 प्रतिशत तक ईथनॉल मिलाया गया है, इस कार का इंजन उसे सपोर्ट करेगी। सरकार का प्लान है कि वह तेजी से E20 फ्लेक्स फ्यूल की तरफ जाए। E20 का मतलब है 80 प्रतिशत पेट्रोल और 20 प्रतिशत एथनॉल। 

सामान्य गैसोलीन कारों और फ्लेक्स ईंधन कारों के बीच अंतर


इसे आसान भाषा में समझते हैं। एक ऐसी कार जो पेट्रोल के साथ-साथ, ब्लेंड पेट्रोल (जिसमें ईथनॉल या एथनॉल मिलाया गया हो) पर भी चलेगी। अधिकांश फ्लेक्स-ईंधन वाहन भाग गैसोलीन से चलने वाले वाहनों के समान होते हैं, लेकिन फ्लेक्स-फ्यूल कारों में कुछ संशोधन उन्हें गैसोलीन या इसके मिश्रण पर 85 प्रतिशत इथेनॉल के साथ चलाने की अनुमति देते हैं। अंतर कुछ इथेनॉल-संगत घटकों और ईंधन पंप और ईंधन इंजेक्शन प्रणाली में संशोधन का एक सेट है। इथेनॉल की उच्च ऑक्सीजन सामग्री को समायोजित करने के लिए फ्लेक्स ईंधन वाहनों को इंजन नियंत्रण मॉड्यूल के साथ भी कैलिब्रेट किया जाता है। यह प्रणाली ईंधन मिश्रण, इग्निशन टाइमिंग और उत्सर्जन प्रणाली की निगरानी और नियंत्रण करती है और वाहन के संचालन पर नज़र रखती है और अति प्रयोग के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

सरकार का फ्लेक्स फ्यूल पर जोर


पेट्रोल की महंगाई को कम करने के लिए सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लगातार कोशिश कर रहे हैं। जहां पेट्रोल की कीमत अभी 98 रुपए के आसपास है, वहीं एथॉनल सिर्फ 55 रुपए लीटर है। सरकार का प्लान है कि पेट्रोल में कम से कम 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाया जाए ताकि पेट्रोल की बढ़ती जरूरत को कम किया जा सके। भारत सरकार देश में फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों को पेश करने में रुचि रखती है और ब्राजील के साथ भी सहयोग की मांग कर रही है, जिसके पास फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों के लिए एक अच्छी तरह से विकसित बाजार है। चूंकि भारत गन्ने के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, इसलिए इसमें भारी मात्रा में इथेनॉल का उत्पादन करने की काफी संभावनाएं हैं। 2018 में सरकार द्वारा अधिसूचित 'राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति' ने 2023 तक फ्लेक्स ईंधन E20 (80 प्रतिशत गैसोलीन, 20 प्रतिशत इथेनॉल) की शुरूआत का लक्ष्य रखा। नए नियम के तहत, कार निर्माताओं को ईंधन-संगत इंजन बनाने की आवश्यकता होगी।