नासा का मिस्टिक माउंटेन हुबहू वेदों में वर्णित योग निद्रा में लीन भगवान विष्णु की तस्वीर - डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी

नासा का मिस्टिक माउंटेन हुबहू वेदों में वर्णित योग निद्रा में लीन भगवान विष्णु की तस्वीर - डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी

हाल ही में कैरिना नेबुला (मिल्की वे गैलेक्सी का एक क्षेत्र) के नासा वेब टेलीस्कोप से एक फोटो ली गई है।  नासा ने इस तस्वीर को मिस्टिकमाउंटेन" कहा है क्योंकि ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति रहस्यवादी नींद में सो रहा है ।
एक दूसरी तस्वीर वेदों द्वारा वर्णित गर्भोदक्षयी विष्णु की है, जिसको योग निद्रा में विष्णु के शयनकाल या देवशयन चार्तुमास आदि नामो से जाना जाता है इन दोनो चित्रों को आप ध्यान से देखे । श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि नासा का हबल टेलीस्कोप 7,500 प्रकाश वर्ष दूर स्थित नेबुला की खोज करता है। नासा के हबल टेलीस्कोप से कैरिना नेबुला की क्लिप ने लोगों को हैरत में डाल दिया है। कैरिना नेबुला पृथ्वी से लगभग 7,500 प्रकाश वर्ष दूर है।
विभिन्न खगोलीय पिंडों की खोज और प्रदर्शन करते हुए नासा ने ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया, एक वीडियो वाली पोस्ट में हबल टेलीस्कोप द्वारा कैप्चर की गई कैरिना नेबुला को दिखाया गया है। कैरिना नेबुला के एक छोटे से हिस्से की पड़ताल करता है, जो हमारी आकाशगंगा में सबसे बड़े स्टार बनाने वाले क्षेत्रों में से एक है। निहारिका हमसे लगभग 7,500 प्रकाश वर्ष दूर है और ज्यादातर हाइड्रोजन गैस से बनी है । अब शास्त्रों को देखे तो गौड़ीय वैष्णववाद में सात्वत तंत्र में विष्णु के तीन अलग-अलग रूपों का वर्णन किया गया है जैसे: महा विष्णु, गर्भोदकसहाय विष्णु और क्षीरोदकसहाय विष्णु। ब्रह्मांड और इसके निवासियों के रखरखाव में प्रत्येक रूप की एक अलग भूमिका है। महा विष्णु या कारणोंदकशायी विष्णु, डॉ तिवारी के अनुसार निराकार जो करणोंदक पर विराजमान है । यही संसार का बीज डालते है । अग्नि, आकाश, जल, धरती और इसके अलावा मन, अहंकार आदि । महामाया द्वारा रचित समस्त ब्रह्माण्ड की आत्मा के रूप मे यह एक हजार नेत्र और एक हजार भुजाओं के साथ चरित्र होते है । ऋग्वेद के पुरुषसूक्त में इसका ही विस्तार है । गर्भोदकशायी विष्णु या महा विष्णु - उन सभी महा माया द्वारा रचित ब्रह्मांडो मे गर्भोदकशायी विष्णु के रूप मे प्रवेश करते हैं । हर एक ब्रह्मांड मे एक गर्भोदकशायी विष्णु । यह गर्भोदकशायी विष्णु अलग-अलग महा माया द्वारा रचित ब्रह्मांडो की आत्माओं की आत्मा है । इन्ही की नाभिकमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति होती है । विष्णु के इसी स्वरूप की कल्पना चातुर्मास या देवशयन काल के नाम से विख्यात है । क्षीरोदकशायी विष्णु, विष्णु प्रत्येक ब्रह्मांड में जीवित शरीरों मे क्षीरोदकशायी विष्णु के रूप में बसते है । जब हम कहते है की कण कण, हर शरीर मे भगवान है तो हम क्षीरोदकशायी विष्णु की बात करते है । श्री हरी विष्णु, जिनके पास देवता मदद मांगने जाते है या जिन्हे हम परमात्मा कहते है वह क्षीरोदकशायी विष्णु  ही है । ज्योतिषाचार्य डॉ तिवारी ने कहा कि नासा के मिस्टिक माउंटेन की फोटो बिल्कुल गर्भोदकशायी महा विष्णु के चित्र के समानांतर है। यहां अलग अलग दो चित्र इसकी स्पष्टता के लिए दिखाए जा रहे हैं । इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वेदों में वर्णित खगोल विज्ञान आदि विषय कितना सटीक है।
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