शुभ विवाह : उत्तरायण के आने के साथ ही फिर से शुरू होगा शादियों का सीजन, जानिए इस महीने में हैं कितने शुभ मुहूर्त

14 जनवरी को दोपहर 2.30 बजे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही शुभ कार्यों के लिए लगी बाधा समाप्त, इस माह में 10 तो दिवाली तक शादी के 40 शुभ मुहूर्त

बीते एक महीने से देश में खरमास होने के कारण किसी भी तरह का शुभ कार्य पर रोक लगी हुई थी. खरमास के कारन गुजरात में भी शादियों के सीजन पर ब्रेक लगा हुआ था था. कल उत्तरायण के पूरा होते ही खरमास ख़त्म चुका है और अब आज से शादियों का सीजन शुरू हो गया है। उस पर अच्छी खबर यह है कि इस महीने के 10 शुभ मुहूर्त को लेकर दिवाली तक शादी के 40 शुभ मुहूर्त हैं।
आपको बता दें कि उत्तरायण का पर्व समाप्त होते ही खरमास समाप्त हो गया। इसके ख़त्म होते ही एक बार फिर शादियों का सीजन शुरू हो जाता है। इस साल दिवाली तक शादी के 40 शुभ मुहूर्त हैं। जिनमें से इस महीने शादी के 10 शुभ मुहूर्त हैं। इस महीने में 15, 20, 21, 22, 23, 25, 26, 27, 28 और 29 जनवरी विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। जबकि अगले महीने यानि फरवरी के महीने में शादी के 8 शुभ मुहूर्त हैं। मार्च माह में विवाह के 3 शुभ मुहूर्त हैं। अप्रैल और जून में विवाह के 4-4 शुभ मुहूर्त हैं। जुलाई माह तक विवाह के 40 शुभ मुहूर्त हैं। 14 जनवरी को दोपहर 2.30 बजे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही शुभ कार्यों के लिए लगी बाधा समाप्त हो गई और इसका मतलब है कि इस दिन के बाद से हिंदू धर्म में अच्छे कर्म और शादियां की जा सकती हैं।
आपको बता दें कि हिन्दू शास्त्रों के अनुसार हर साल आने वाले धनरका यानी खरमास में विवाह कार्य वर्जित है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार इन दिनों अच्छे कर्म करना अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए ज्यादातर लोग एक महीने में कोई भी शुभ कार्य करने से बचते हैं।  धनारक और मीनारक एक ही हैं। जब सूर्यदेव धन राशि और मीन राशि में आते हैं तो धन संक्रांति को मीन संक्रांति माना जाता है। इस समय को कामुराता या खरमास कहा जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। यह अवधि एक माह की होती है। किसी भी मांगलिक कार्य के लिए सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की शुभ स्थिति देखी जाती है। खरमास में सूर्य-बृहस्पति कमजोर होते हैं। खरमास साल में दो बार आता है। पहला तब होता है जब सूर्य मीन राशि में होता है और दूसरा तब होता है जब सूर्य मीन राशि में होता है। बृहस्पति खरमास में अस्त होता है। बृहस्पति शक्तिहीन रहता है। मकर राशि में सूर्य का इस राशि से निकलने के साथ खरमास पूर्ण होता है।