संघर्ष की कहानी : फर्श से अर्श तक पहुंचा ये आदमी, कभी बेचा करता था संतरे आज है करोड़ों का मालिक

संघर्ष की कहानी : फर्श से अर्श तक पहुंचा ये आदमी, कभी बेचा करता था संतरे आज है करोड़ों का मालिक

कभी बेचा करता था सड़क पर संतरे,आज है सालाना 400 करोड़ रुपये का टर्नओवर करने वाले अश्मी रोड ट्रांसपोर्ट नाम की ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक, कोरोना काल में लोगों तक ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए पानी की तरह बहाया पैसा!

आपने बहुत से सफल लोगों के बारे में  पढ़ा और सुना होगा। ऐसे लोग अपने जीवन में कठिन से कठिन समय में खुद के हौसले को बुलंद रखते हुए जीवन में बड़ा मुकाम हासिल किया। ऐसे ही लोगों में एक बड़ा नाम है कभी रेलवे स्टेशन पर संतरा बेचने वाले और आज सालाना 400 करोड़ रुपये का टर्नओवर करने वाले अश्मी रोड ट्रांसपोर्ट नाम की ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक और नागपुर के एक बिजनेसमैन प्यारे खान की।
आपको बता दें कि 1995 में नागपुर रेलवे स्टेशन के बाहर संतरे बेचने वाले प्यारे खान आज एक बड़े ट्रांसपॉर्टर हैं। 400 करोड़ कीमत की कंपनी के मालिक प्यारे के पास लगभग 300 ट्रकें हैं। प्यारे करीब 2 हजार ट्रकों के नेटवर्क को मैनेज करते हैं, जिसके दफ्तर नेपाल, भूटान, बांग्लादेश में हैं। प्यारे खान का कहना है कि वह और उनके 2 भाई, बहन और माता-पिता नागपुर के एक स्लम एरिया में रहते थे। पिताजी गाँव- गाँव जाकर कपड़े बेचते थे लेकिन इसमें ज्यादा कमाई नहीं होने से उन्होंने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद मां ने हमारी परवरिश के लिए किराने की दुकान शुरू की। हमने जब से होश संभाला है तब से खुद को पालने के लिए पैसा कमाया। प्यारे खान आगे बताते है “जब मैं सिर्फ 13 साल का था तब से मैंने काम करना शुरू कर दिया था। 2 महीने गर्मी की छुट्टी में मैं रेलवे स्टेशन पर संतरा बेचने का काम करता था जिसमें प्रतिदिन 50-60 रुपये की बचत होती थी। मैंने कारों की सफाई जैसे बहुत सारे काम किये है। घर की स्थिति ऐसी थी कि मैं पढ़ नहीं सकता था इसलिए दसवीं में फेल होने के बाद मैंने पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया। जब मुझे अपना ड्राइविंग लाइसेंस मिला, तो मैंने एक कूरियर कंपनी में ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान जब मेरा एक्सीडेंट हुआ तो मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी।”
आगे प्यारे खान कहते है “मैंने 2005 में एक ट्रक खरीदा था और 2007 तक मेरे पास 12 ट्रक थे। फिर मैंने कंपनी को अश्मी रोड ट्रांसपोर्ट के रूप में पंजीकृत किया। मैंने उन जगहों पर काम करना शुरू किया जहां दूसरे लोग काम करने से डरते थे। जोखिम उठाते हुए बड़े समूहों ने काम ढूंढना शुरू किया। कुछ साल पहले दो पेट्रोल पंप भी खोले गए थे। फिलहाल कंपनी का कुल कारोबार 400 करोड़ रुपये है। यहां कुल 700 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। हमने अगले दो साल में कंपनी के लिए 1,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। मैं कभी भी सफलता के पीछे नहीं भागा। यही मेरी सफलता का राज है।”
गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर में जब लोगों के बीच ऑक्सीजन की भारी अछत थी तब प्यारे ने अनगिनत रोगियों के जीवन को बचाने के लिए कड़ी मेहनत की। प्यारे खान ने नागपुर और उसके आसपास के सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे रोगियों को 400 मीट्रिक टन से बहुत अधिक तरल मेडिकल ऑक्सीजन मुहैया कराया था। उन्होंने मरीजों को ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए करोड़ो रुपये खर्च किए थे।