कभी करती थी मजदूरी आज कला के लिए मिला पद्मश्री, जानिए भूरीबाई की कहानी
            By  Loktej             
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                                                 मध्य प्रदेश की रहने वाली भूरी बेन को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है बाई की बनाई गई पेटिंग्स ने न केवल देश बल्कि विदेशों में भी बनाई अपनी पहचान
सोमवार 8 नवंबर को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित पद्म पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत, गायक अदनान सामी, बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु समेत इस साल के लिए 141 और बीते साल के लिए 119 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जिन लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया उनमें से एक मध्यप्रदेश के भूरी बहन का भी नाम शामिल है। भूरीबाई को भील जनजाति की संस्कृति और दीवारों को कैनवास पर चित्रित करने के लिए पद्म श्री पुरस्कार दिया गया है। पद्मश्री मिलने के बाद भूरी बेन बेहद खुश नजर आईं।
आपको बता दें कि भूरी बेन का बचपन बेहद गरीबी में बीता है। मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पिटोल गांव में जन्मी भूरी बाई आदिवासी समुदाय से आती हैं। वे बचपन से ही चित्रकारी करने की शौकीन थी। खास बात यह है कि उन्हें हिंदी बोलना भी ठीक से नहीं आती थी वे केवल स्थानीय भीली बोली जानती थी, लेकिन चित्रकारी का उनका शौक ही धीरे-धीरे उनकी पहचान बन गया। वे कैनवास का इस्तेमाल कर आदिवासियों के जीवन से जुड़ी चित्रकारी करने की शुरूआत की और देखते ही देखते ही उनकी पहचान पूरी देश में हो गई। वह भोपाल में भारत भवन में काम करती थी। भूरीबाई भारत भवन में पेंटिंग करती थीं।
आपको बता दें कि भूरी बाई की बनाई गई पेटिंग्स ने न केवल देश बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई। उनकी पेटिंग अमेरिका में लगी वर्कशॉप में भी लगाई गई। जहां उनकी पेटिंग खूब पसंद की गई। भूरी बाई आज चित्रकारी के क्षेत्र में एक बड़ा नाम बन चुकी है। वे देश के अलग-अलग जिलों में आर्ट और पिथोरा आर्ट पर वर्कशॉप का आयोजन करवाती है। अब केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान देने का ऐलान किया है। पद्म श्री पुरस्कार मिलने के बाद अब ज्यादातर लोग उन्हें जानते हैं।
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