शरद पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग और रवियोग में आसमान से बरसेगा अमृत

शरद पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग और रवियोग में आसमान से बरसेगा अमृत

शरद पूर्णिमा को कोजागरी और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है । वैसे तो 12 पूर्णिमा संपूर्ण वर्ष में होती है लेकिन शरद की पूर्णिमा इसलिए विशेष होती है कि चंद्रमा पृथ्वी के सबसे पास होते हुए 16 कलाओं से इसी रात अवतरित होता है । इस वर्ष 19 अक्टूबर के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी।
पुराणों के अनुसार मां लक्ष्मी की समुद्र मंथन से उत्पत्ति शरद पूर्णिमा के दिन ही हुई थी इसलिए इस तिथि को धन-दायक भी माना जाता है । भगवान कृष्ण ने भी महारास इसी पूर्णिमा की रात रचाया था। धर्मशास्त्रों में वर्णन है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और जो लोग रात्रि में जागकर मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं, वे उस पर अपनी कृपा बरसाती हैं और धन-वैभव प्रदान करती हैं।  इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता और पृथ्वी पर चारों चंद्रमा की उजियारी फैली होती है। धरती माता मानो जैसे दूधिया रोशनी में नहा जाती है। विज्ञान सिद्ध भी है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की बरसात होती है, इसलिए रात्रि में चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा भी है । धार्मिक मान्यता है कि आसमान से इस रात अमृत की वर्षा होती है। इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऋतु चक्र परिवर्तित होकर  इस दिन से सर्दियों की शुरुआत हो जाती है। 
शरद पूर्णिमा की रात खीर रखने की परंपरा और विज्ञान 
शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखे जाते हैं । इसके पीछे वैज्ञानिक कारण होते हैं । हम सभी जानते हैं कि दूध में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड पाया जाता है । ये चन्द्रमा की तेज रोशनी में दूध में पहले से मौजूद बैक्टिरिया को और बढ़ाने में सहायक होता है । वहीं, खीर में पड़े चावल इस काम को और आसान बना देते हैं । चावलों में पाए जाने वाला स्टार्च इसमें मदद करता है, इसके साथ ही चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है, इसलिए हो सके तो खीर को चांदी के बर्तन में रखना चाहिए । आप प्रत्यक्ष देख सकते है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में चन्द्रमा की रोशनी सबसे तेज होती है । इन्हीं सब कारणों से शरद पूर्णिमा की रात बाहर खुले आसमान में खीर रखना लाभदायक बताया जाता है ।शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा से निकलने वाली ऊर्जा को अमृत के समान चमत्कारी माना जाता है । इस रात चन्द्रमा से निकलने वाली समस्त ऊर्जा उस खीर के भोग में सम्माहित हो जाती है । इसे प्रसाद रूप में लेने वाले व्यक्ति की दीर्घायु होती है । इस प्रसाद से रोग-शोक दूर होते है । बीमारियों का नाश करने वाली है ये अमृत वाली खीर । रोगियों के लिए शरद पूर्णिमा की अमृत की खीर वरदान साबित होता है। स्वस्थ लोगों के लिए यह रात सेहत और सम्पति देने वाली है । इसलिए शरद पूर्णिमा को अमृत वाली खीर खाने के बहुत फायदे होते हैं । इस खीर को खाने वाला व्यक्ति प्रसिद्धि को प्राप्त करता है।
शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस बार शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा 19 अक्टूबर, 2021, मंगलवार को मनाई जाएगी।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ-19 अक्टूबर 2021 को शाम 07 बजे से 
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 20 अक्टूबर 2021 को रात्रि 08 बजकर 20 मिनट पर।
डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी
ज्योतिष विभाग 
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय
निंबाहेड़ा चित्तौड़गढ़ राजस्थान।
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