'कौन बनेगा करोड़पति' के पांचवें सीजन में सुशील कुमार ने 5 करोड़ रुपये जीते थे, सोशल मीडिया पर साझा किया था अपना दर्द
अमिताभ बच्चन द्वारा संचालित लोकप्रिय गेम शो 'कौन बनेगा करोड़पति 13 'आज यानी 23 अगस्त से टीवी पर शुरू हो रहा है। इस बार शो में लाइव ऑडियंस भी देखने को मिलेगीम कोरोना की वजह से 12वें सीजन को दर्शक नदारद थे। आपको बता दें कि 'कौन बनेगा करोड़पति' के पांचवें सीजन में सुशील कुमार ने 5 करोड़ रुपये जीते थे। पिछले साल सुशील कुमार ने अपने संघर्ष के बारे में सोशल मीडिया में एक लंबी चौड़ी पोस्ट शेयर की थी। इस पोस्ट के जरिए सुशील कुमार ने बताया कि उनके जीवन का सबसे बुरा समय सेलिब्रिटी बनने के बाद शुरू हुआ।
सुशील कुमार ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, "मेरे जीवन का सबसे बुरा समय 'केबीसी' जीतने के बाद शुरू हुआ। 2015-16 मेरे जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण समय था। कुछ नहीं पता था कि क्या करना है। स्थानीय हस्ती होने के कारण महीने में 10-15 दिन बिहार में कहीं न कहीं यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता था। इससे पढ़ाई धीरे-धीरे पीछे छूट गई। उस समय मैं मीडिया को लेकर बहुत गंभीर था। इसलिए मैंने बिना किसी अनुभव के व्यापार करना शुरू कर दिया, जिसके बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं था। ये सब सिर्फ इसलिए ताकि में मीडिया में कह सकूं कि मैं आलसी या बेकार नहीं हूं। हालांकि, कुछ दिनों बाद मुझे कारोबार बंद करना पड़ा।"
सुशील कुमार ने आगे बताया कि "'केबीसी' के बाद मैं परोपकारी और दानवीर बन गया था और गुप्त रूप से दान करता था। मैं महीने में 50 हजार रुपये से ज्यादा खर्च करने लगा था। इसी कारण से कुछ लालची प्रवृति के लोग मेरे साथ जुड़ गए और मुझे ठगते देते रहे। इन सबका असर मेरे परिवार पर पड़ा। मेरी पत्नी के साथ मेरे संबंध बिगड़ रहे थे। वह अक्सर मुझसे कहती थी कि आप भविष्य की चिंता किए बिना ये सब कर रहे हो। आपको सच्चे और झूठे लोगों की पहचान करने की आवश्यकता हैं। यह सब सुनने के बाद मुझे लगा कि वह मुझे समझ नहीं पा रही है और इस बात को लेकर हमारे बीच कई झगड़े हुए। हालांकि, इन सबके बीच मेरे साथ कुछ अच्छी चीजें हुईं। मैंने दिल्ली में कुछ कारें खरीदीं और एक दोस्त को किराए पर दीं। इसलिए मैं हर महीने कुछ दिन दिल्ली जाता था। इस दौरान मेरी मुलाकात जामिया में मीडिया की पढ़ाई करने वाले युवकों से हुई, फिर आईआईएमसी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन) में पढ़ने वाले युवकों से हुई तो जेएनयू (जवाहर नेहरू यूनिवर्सिटी) में रिसर्च कर रहे लड़कों से मुलाकात हुई। कुछ थिएटर कलाकारों से भी परिचित हुआ। जब ये लोग किसी एक मुद्दे पर बात कर रहे थे, तो मुझे लगा कि मैं कुएं का मेंढक हूं। मैं इस सब के बारे में कुछ नहीं जानता। इन सबके बीच मुझे शराब और सिगरेट की लत लग गई।"
अपने जीवन की एक अहम घटना का जिक्र करते हुए सुशील ने बताया "एक रात मैं फिल्म 'प्यासा' देख रहा था। इस फिल्म का क्लाइमेक्स चल रहा था और उसी समय मेरी पत्नी कमरे में आई और चिल्लाने लगी कि तुम एक ही फिल्म को कई बार देखकर पागल हो जाओगे। अगर आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं, तो मेरे कमरे में मत रहो और बाहर जाओ। मैं लैपटॉप बंद करके मैं चुपचाप सड़क पर चलने लगा।" आगे उन्होंने बताया "कुछ समय पहले की बात रही होगी और मेरे पास एक अंग्रेजी अखबार के रिपोर्टर का फोन आया। मैंने थोड़ी देर बात की लेकिन फिर उसने मुझसे एक सवाल पूछा जिससे मुझे गुस्सा आया और मैंने उससे कहा कि मेरा सारा पैसा खर्च हो गया और मैंने दो गायें लीं और जीवनयापन करने के लिए दूध बेच दिया। इस खबर का असर तो आप जानते ही हैं। उस खबर ने अपना असर दिखाया और पैसे की वजह से मेरे साथ रहने वाले सभी लोग चले गए। मुझे किसी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया था। इस समय मुझे एहसास हुआ कि मुझे क्या करना चाहिए।"
अपनी पत्नी के साथ के संबंध के बारे में बात करते हुए कहा "एक दिन मेरा अपनी पत्नी के साथ बहुत बड़ा झगड़ा हो गया और फिर वो अपने मायके चली गई। बात तलाक की हद तक पहुंच गई। तब मुझे एहसास हुआ कि अगर रिश्ते को जीवित रखना है तो मुझे इन सबसे बाहर निकलना होगा। इसके बाद मैंने फिल्म निर्देशक बनने का सपना देखा। मैं एक नई पहचान लेकर नई शुरुआत करने निकला। मेरे निर्माता मित्र ने मुझसे बात की और उन्होंने मुझसे फिल्म तकनीक से जुड़े सवाल पूछे लेकिन मैं जवाब नहीं दे सका। इसके बाद मैं एक बड़े प्रोडक्शन हाउस में आया और काम करने लगा। यहां मुझे कहानी, स्क्रीनप्ले, डायलॉग कॉपी, प्रॉप और अनगिनत चीजों को समझने का मौका मिला। फिर मुझे बेचैनी होने लगी। शूटिंग सिर्फ तीन जगहों- आंगन, किचन और बेडरूम में होता। मेरा एक निर्देशक बनने का सपना था और एक दिन मैंने उस सपने को अधूरा छोड़ दिया और एक गीतकार मित्र के साथ उसी कमरे में रहने लगा। इस दौरान मैं दिनभर अकेले रहकर पढ़ता था। इस दौरान मुझे अपने व्यक्तित्व को अलग तरह से पता चला और मुझे एहसास हुआ कि मेरे मन को किस चीज से खुशी मिलेगी। मैं मुंबई से सीधे अपने घर आ गया। मैंने शिक्षक बनने की तैयारी शुरू कर दी और परीक्षा पास कर ली। अब मैं पर्यावरण से जुड़े काफी काम करती हूं। जीवन में एक नया जोश है। बस सोचता हूँ कि जीवन में जितनी कम जरूरत हो उतना अच्छा। जितना चाहिए उतना कमाओ।'