फ्रेंडशिप डे विशेष : भगवान श्रीकृष्ण से जानिए सच्ची दोस्ती का अर्थ

फ्रेंडशिप डे विशेष : भगवान श्रीकृष्ण से जानिए सच्ची दोस्ती का अर्थ

अगस्त के पहले रविवार को पूरे भारत में मनाया जाता है फ्रेंडशिप डे

आज अगस्त का पहला रविवार जिसे पूरे भारत में फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है। वैसे तो फ्रेंडशिप डे मनाने की यह प्रथा संस्कृति पश्चिमी देशो से आई है, जिसका मुख्य उद्देश्य अपने दोस्तों के प्रति अपना प्यार दर्शाना है। हालांकि यदि भारत देश की प्राचीन संस्कृति की और नजर डाली जाये तो यहाँ पहले से ही दोस्तों के प्रति प्यार, उनका सम्मान देने के कई उदाहरण देखे जाते है। 
माखनचोर श्रीकृष्ण को सभी का मित्र माना जाता है, तो आइये उन्ही के मित्रता के कुछ उदाहरण देखे और जानें किस तरह बिना स्वार्थ के दोस्ती निभाई जाती है। भगवान श्रीकृष्ण ने जिन भी लोगों से दोस्ती निभाई है उन सभी के लिए उन्होंने अपनी सभी मर्यादाओं को पार किया है। ज़िंदगी भर उन्होंने अपने इन सभी दोस्तों का सम्मान किया था। 
कृष्ण-सुदामा
भगवान कृष्ण और सुदामा की दोस्ती के बारे में तो हम सभी जानते है। महेलों में रहने वाले श्रीकृष्ण ने कभी भी अपने गरीब मित्र की उपेक्षा नहीं की थी। जब सुदामा अपने मित्र कृष्ण से आर्थिक सहायता मांगने जा रहे थे। तब उन्हें शंका हुई थी कि क्या वह उनकी सहायता भी करेंगे। पर सुदामा का नाम सुनते ही श्रीकृष्ण भावुक हो गए और नंगे पैरो ही उनसे दौड़ने चले आए। जब कृष्ण की रानियों ने गरीब सुदामा को देखा तो उनकी आंखे भी खुली की खुली रह गई। गरीब सुदामा के लिए श्रीकृष्ण का प्यार इस हद तक था कि उन्होंने बिना कुछ मांगे ही सुदामा को सब कुछ दे दिया। 
कृष्ण-अर्जुन
वैसे तो अर्जुन और कृष्ण रिश्ते में भाई लगता था, पर वह कृष्ण को अपने भाई से अधिक मित्र मानता था। कुरुक्षेत्र के युद्ध में कृष्ण अर्जन के सारथी बने थे और अर्जुन को सत्य का राह बताकर उन्हें लड़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया था। कृष्ण के मार्गदर्शन के बाद ही अर्जुन अपने रिश्तेदारों के सामने अन्याय के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई लड़ पाये थे। जिसमें पांडवो की जीत हुई और धरती पर धर्म की स्थापना हुई। 
 
कृष्ण-द्रौपदी
अर्जुन की तरह ही द्रौपदी भी भगवान कृष्ण को अपना भाई और मित्र मानती थी। चिरहरण के समय जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण से सहायता मांगी तो उन्होंने उनकी द्रौपदी की सहायता कर द्रौपदी का चीरहरण होने से बचाया था। अपने मित्रों के लिए कृष्ण हर विपदा से लड़ने के लिए तैयार रहते थे। 
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