20 हजार से शुरू किया स्टार्टअप आज दे रहा है 18 करोड़ का टर्नओवर, दो मित्रों की यह कहानी है काफी दिलचस्प

20 हजार से शुरू किया स्टार्टअप आज दे रहा है 18 करोड़ का टर्नओवर, दो मित्रों की यह कहानी है काफी दिलचस्प

140 लोगों को दे रहे है नौकरी, पहले ही साल किया था 6 लाख का बिजनेस

आज का युग स्टार्टअप्स का है। नए-नए आइडिया के साथ आज के युवा काफी आगे बढ़ रहे है। ऐसे ही एक स्टार्टअप की बात हम आज करने जा रहे है, जिसे दो मित्रों ने मिलकर मात्र 20 हजार रुपए से शुरू किया था। पेड़ के सूखे छाल पर से दोनों ने प्लेट, मग तथा कटोरी जैसी किचन के इस्तेमाल की चीजें बनाना शुरू किया था। दोनों ने मिलकर अपनी चीजों की काफी मार्केटिंग की और देश के अलावा विदेश में भी काफी डिमांड है। 33 वर्षीय अमरदीप और 34 वर्ष के वैभव ने साल 2011 में एक ही कॉलेज से एमबीए किया था। इस दौरान ही उन्होंने अपने इस इकोफ्रेंडली मोडेल का आइडिया आया था। 
पढ़ाई पूर्ण करने के बाद दोनों की नौकरी लग गई, पर दोनों अपने आइडिया पर अभी भी कम कर रहे थे। साल 2012 में दोनों ने 20 हजार के खर्च से अपने नए बिजनेस की शुरुआत की, जिसे उन्होंने 'प्रकृति' नाम दिया। जिसमें उन्होंने सूखे पैन में से प्लेट, कटोरी, ग्लास जैसी चीजें बनाना शुरू किया था। सबसे पहले उन्होंने कुछ वेटर्स और इवैंट मैनेजमेंट करने वाले लोगों को बेची। जिसके बाद उनके प्लेट्स की डिमांड बढ़ने लगी।  
अमरदीप के अनुसार, एक साल के दौरान ही वह काफी अच्छी परिस्थिति में पहुँच गए थे। उन्हें सभी का काफी अच्छा रिस्पोंस मिल रहा था। पर अब उनके पास उत्पादन बढ़ाने की दिक्कत होने लगी। कुछ सालों में उन्होंने तमिलनाडू में उन्हें एक मेन्यूफ़ेक्चरिंग यूनिट की शुरुआत की। जहां उन्होंने कुछ कारीगर रखे और वहाँ उन्होंने कई कारीगर भी रखे। धीरे धीरे उनकी पहचान बन गई और उनके ग्राहकों की संख्या भी बढ़ने लगी। साल 2014 में वैभव ने अपनी नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से बिजनेस में काम शुरू कर दिया। इसके बाद साल 2016 में अमरदीप ने भी अपनी नौकरी छोड़ दी। 
अमरदीप ने बताया कि कुछ ही समय में उनके कई सारे ग्राहक बढ़ गए थे। फिलहाल वह 70 से अधिक वेरायटी के प्रोडकट बना रहे है। अब उन्होंने तमिलनाडु और कर्नाटक में भी कम शुरू कर दिया था। हालांकि इसके लिए वह किसी भी पौधे को नुकसान नहीं पहुंचाते है। हालांकि पिछले साल कोरोना के कारण उत्पादन और मार्केटिंग दोनों पर काफी प्रभाव हुआ था। हालांकि अब धीरे धीरे स्थिति फिर से सुधर रही है। लोग इकोफ्रेंडली चीजों की तरफ बढ़ रहे है, जिससे की उन्होंने ई-कॉमर्स वैबसाइट पर अपनी वैबसाइट को रजिस्टर कर लिया है।