
कोरोना महामारी के बीच एक और मुसीबत का आगमन, मिले जीका वायरस के मरीज
By Loktej
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केरल में जीका वायरस के 13 संक्रमित मामले पाए गए
विश्वभर में फैले कोरोना ने बीते साल गजब की तबाही मचाई। जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया। हालांकि वैक्सीन के आने और एक लंबे और जटिल लॉकडाउन के बाद कोरोना कुछ नियंत्रण में आया है पर कोरोना को लेकर हालत ऐसे है कि एक समस्या से उबर नहीं पाते और दूसरी समस्या सर उठाकर खड़ी हो जाती है। देशभर के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने बड़ी मेहनत से वैक्सीन बनाया तो कोरोना का नया प्रकार सामने आ गया। जब उससे निपटा गया तो कोरोना का डेल्टा और डेल्टा प्लस स्वरुप सामने आ गया और अब जब ऐसा लगने लगा कि डेल्टा और डेल्टा प्लस से निज़ात मिल जाएगी तभी एक नया वायरस सामने आ गया है।
कोरोना वायरस के अलग अलग स्वरुप के बीच अब देश में जीका वायरस का आगमन हो गया है। गुरुवार को केरल में जीका वायरस के 13 मामले पाए गए। तिरुवनंतपुरम से लिए गए नमूनों को परीक्षण के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजा गया, जहां जांच में जीका वायरस की पुष्टि हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जीका वायरस एडीज मच्छर के काटने से फैलता है, जो दिन में सक्रिय रहता है। यह वायरस सबसे पहले 1947 में युगांडा के बंदरों में पाया गया था। यह बाद में 1952 में युगांडा और तंजानिया में मनुष्यों में पाया गया। जीका वायरस एशिया, अफ्रीका, अमेरिका प्रशांत द्वीप समूह में पाया गया है।
आपको बता दें कि जीका वायरस की अवधि 3 से 14 दिनों की होती है, और अधिकांश लोगों में कोई वास्तविक लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। कुछ लोगों ने बुखार, शरीर पर दाने, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द की शिकायत की है। जीका वायरस गुइलेन-बार सिंड्रोम का कारण बनता है। यह नवजात शिशुओं में जन्मजात दोष का भी कारण बन सकता है।
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