कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई मजबूरी है, बाकी न छात्र संतुष्ट हैं और न ही शिक्षक

कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई मजबूरी है, बाकी न छात्र संतुष्ट हैं और न ही शिक्षक

ऑनलाइन शिक्षा के साथ जुडी हैं बहुत सी समस्याएं

कोरोना के आने के साथ ही बहुत बदल गया हैं। इसका सबसे बाद असर स्कूल-कॉलेज पर पढ़ा हैं। पढ़ाई का पूरा तरीका ही बदल चुका हैं। जहाँ पहले बच्चों को मोबाइल कंप्यूटर से दूर रखा जाता था वहीं अब इन्ही के सहारे पढ़ाई होती हैं। बीते एक साल ऐसे स्कूलिंग के बाद गर्मी की छुट्टी आई जो अब चंद दिनों में खत्म होने मेंजा रही हैं। नया सेमेस्टर  8 जून से शुरू होने जा रहा और इन हालातों को देखते हुए यहीं उम्मीद लगाई जा रही हैं कि अभी भी ऑनलाइन पढ़ाई की जाएगी। ऐसे में एक सर्वे में सामने आया है कि 97 फीसदी शिक्षक ऑनलाइन शिक्षा से संतुष्ट नहीं हैं।
आपको बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है। ऑनलाइन शिक्षा से शिक्षकों और छात्रों दोनों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस अंग के मनोविज्ञान भवन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 97% शिक्षकों ने कहा कि कमजोर मोबाइल नेटवर्क के कारण छात्र अध्ययन नहीं कर पा रहे। वहीं 89% शिक्षक वर्चुअल प्लेटफॉर्म में अकेलापन महसूस करते हैं। अस्सी प्रतिशत शिक्षकों ने कहा कि वे ऑनलाइन पढ़ाने से ऊब चुके हैं। 93% शिक्षकों ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा छात्रों के मूल्यांकन को सीमित करती है। 
गौरतलब हैं कि कई गरीब परिवारों के छात्रों के पास एंड्रॉइड फोन नहीं है इसलिए वे ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हैं। 74% शिक्षकों ने कहा कि छात्र समय पर ऑनलाइन क्लास में नहीं आते। इन सभी मुद्दों के सामने आने के कारण यह समझ आया हैं कि ऑनलाइन शिक्षा छात्रों के लिए उपयोगी नहीं है और पारंपरिक शिक्षा का विकल्प नहीं हो सकता है।

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