एक बला टलती नहीं, दूसरी आ खड़ी होती है; ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाईट फंगस का टैंशन

एक बला टलती नहीं, दूसरी आ खड़ी होती है; ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाईट फंगस का टैंशन

व्हाईट फंगस के होने के कारण ब्लैक फंगस जैसे, बचाव के लिए इन सावधानियों की आवश्यकता

अब तक ब्लैक फंगस से जूझ रहे पटना को अब सफेद फंगस के मरीज से मिलने से हडकंप मच गया हैं। ब्लैक फंगस से भी ज्यादा घातक मानी जाने वाली इस बीमारी के चार मरीज हाल के दिनों में मिले हैं। सफेद फंगस या व्हाईट फंगस (कैंडिडिआसिस) फेफड़ों के संक्रमण का एक प्रमुख कारण है। फेफड़ों के अलावा, यह त्वचा, नाखून, मुंह के अंदर, आंतों, गुर्दे, जननांगों और मस्तिष्क को भी संक्रमित करता है।
आपको बता दें कि पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल हेड डॉक्टर ऑफ माइक्रोबायोलॉजी एसएन सिंह के मुताबिक अब तक 4 ऐसे मरीज मिले हैं जिनमें कोरोना के लक्षण थे लेकिन वे व्हाईट फंगस से संक्रमित थे न कि कोरोना से। मरीजों में कोरोना के तीनों टेस्ट रैपिड एंटीजन, रैपिड एंटीबॉडी और आरटी-पीसीआर आर नेगेटिव आए। जांच करने पर मरीज केवल एंटिफंगल दवाओं के इस्तेमाल से ठीक हो गए। जिसमें पटना के चर्चित सर्जन भी शामिल हैं। जिन्हें एक बड़े निजी अस्पताल के कोरोना वार्ड में भर्ती कराया गया था। जांच में पता चला कि वह सफेद फंगस से पीड़ित थे। ऐंटिफंगल दवाओं के बाद उनका ऑक्सीजन स्तर 95 तक पहुंच गया।
जानकारी के अनुसार व्हाईट फंगस में फेफड़ों के संक्रमण के लक्षण सीटी स्कैन में कोरोना के समान ही होते हैं। जिससे दोनों में अंतर करना मुश्किल हो जाता है। मरीजों का रैपिड एंटीजन और आरटी-पीसीआर टेस्ट नेगेटिव आया है। यदि सीटी स्कैन में कोरोना जैसा लक्षण दिखाई देता है, तो खांसी का रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट और कल्चर किया जाना चाहिए। ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले कोरोना के मरीज उनके फेफड़ों को संक्रमित कर सकते हैं।
सफेद कवक (व्हाईट फंगस) के होने के कारण काले कवक के समान ही होते हैं। ये भी कम रोग प्रतिरोधक क्षमता मधुमेह, एंटीबायोटिक दवाओं का लंबे समय तक उपयोग या स्टेरॉयड का लंबे समय तक उपयोग, कैंसर के रोगी जो दवा ले रहे हैं, उससे रोग विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
ऐसे में जो मरीज ऑक्सीजन या वेंटिलेटर पर है, उसकी ऑक्सीजन या वेंटिलेटर ट्यूब आदि जीवाणुमुक्त होना चाहिए। ऑक्सीजन सिलेंडर ह्यूमिडिफायर में स्टेरलाइज्ड पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। रोगी के फेफड़ों में जाने वाली ऑक्सीजन फंगस से मुक्त होनी चाहिए। जिन मरीजों का रैपिड एंटीजन और आरटी-पीसीआर टेस्ट नेगेटिव आता है और सीटी स्कैन में कोरोना जैसा लक्षण होता है, उनका रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट होना चाहिए। साथ ही खांसी के फंगस कल्चर की जांच की जानी चाहिए।