आखिर किसे करवाना चाहिए डी डायमर टेस्ट और क्या होता है यह?

आखिर किसे करवाना चाहिए डी डायमर टेस्ट और क्या होता है यह?

कोरोना संक्रमित मरीज को हर दूसरे दिन करवाना चाहिए डी डायमर टेस्ट - IMA मीडिया कोओर्डिनेटर

गुजरात में एक और जहां लोग कोरोना का शिकार हो रहे है। वहीं कई लोग कोरोना के कारण कमजोर हुई रोगप्रतिकारक शक्ति के कारण अन्य विभिन्न बीमारियों का भोग बन रहे है। कोरोना से ठीक हुये कई लोगों में म्यूकर माइकोसिस या तो खून के गट्ठे जमने की संभावना बनी रहती है। जिसके कारण लोग भिन्न-भिन्न रिपोर्ट भी करवा रहे है। ऐसे ही कई लोग डी डायमर टेस्ट करवा रहे होने की खबरे सामने आ रही है। तो क्या आपको पता है की आखिर क्या होता है यह डी डायमर टेस्ट और क्या आपको यह करवाना चाहिए या नहीं?
इंडियन मेडिकल असोशिएशन के मीडिया कोओर्डिनेटर डॉक्टर मुकेश माहेश्वरी ने बताया की इस टेस्ट के जरिये शरीर में खून के गट्ठे पड़ने की प्रक्रिया में अलग होने वाले घटकों का पता लगाया जा सकता है। आगे बात करते हुये डॉक्टर मुकेश ने कहा कि कोरोना होने के बाद शरीर में खून के गट्ठे बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। जिसके बाद फेफड़े, हृदय तथा शरीर के अन्य अंगो में भी धीरे धीरे खून जमने लगता है। यदि इसका समयसर इलाज नहीं करवाया जाये तो मरीज को पलमोलोजी, नेमोनिया हार्ट स्ट्रोक और ब्रेन स्ट्रोक भी हो सकता है। डी डायमर टेस्ट द्वारा अलग हो रहे घटको के प्रमाण को मापा जा सकता है। 
(Photo : IANS)

आम तौर पर व्यक्ति के शरीर में डी डायमर का प्रमाण 500 तक होता है। पर कोरोना होने के बाद ईसका प्रमाण काफी बढ़ जाता है। इसलिए ही व्यक्ति को खून पतला करने की दवा दी जाती है। ऐसे में यह नहीं मानना चाहिए कि डी डायमर का प्रमाण बढ़ रहा है मतलब व्यक्ति को कोरोना है। इसके अन्य कारण भी हो सकते है जैसे कि प्रेग्नंसी, कैंसर तथा अन्य, वहीं कई लोगों को जन्म से ही खून जाम जाने की बीमारी होती है। शरीर में यदि डी डायमर बढ़ता है तो उससे डरने की जरूरत नहीं है पर यदि समय से इलाज करवाया जाये तो यह आसानी से ठीक हो सकता है। 
डॉक्टरों का कहना है की यदि मरीज के शरीर में 500 से 700 डी डायमर हो तो वह बिना दवा के ही ठीक हो जाता है। पर यदि इसका प्रमाण 1000 से बढ़ जाये तो मरीज को तुरंत ही डॉक्टर का संपर्क करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बताया की कोरोना संक्रमित मरीजो को हर दूसरे दिन यह टेस्ट करवाना चाहिए।