कोरोना नेज़ल स्प्रे वैक्सीन: जानिए कौन-कौन से वैक्सीन पर चल रहा हैं काम, कब तक होंगे ये उपलब्ध

कोरोना नेज़ल स्प्रे वैक्सीन अधिक प्रभावित, स्टोरेज की समस्या भी होगी दूर, बालको के लिए भी असरदार

देश में कोरोना वायरस के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं लेकिन इस माहौल में अच्छी खबर यह है कि संक्रमित लोगों के ठीक होने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। साथ ही टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी आ रही है। केंद्र सरकार अब तक कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की 20 करोड़ से ज्यादा डोज दे चुकी है। राज्यों के पास अभी भी लाखों में पर्याप्त खुराक है।
साथ ही अगले तीन दिनों में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 51 लाख खुराक प्राप्त होंगी। दो स्वदेशी टीकों के अलावा रूस की नई स्पुतनिक वी वैक्सीन भी आ गई है। सबसे अच्छी खबर यह है कि कोरोना के नेज़ल स्प्रे दवा पर काम शुरू हो चुका है। जानकारों के मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में नेज़ल स्प्रे कोविड वैक्सीन एक बेहतरीन हथियार हो सकता है। इस तरह के टीके की एक खुराक लोगों के लिए काफी होगी। लेकिन सवाल यह है कि आखिर यह वैक्सीन कब आएगी? 
आपको बता दें कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, फिलहाल 7 नेज़ल स्प्रे कोविड वैक्सीन पर काम चल रहा है। यूके, यूएस, भारत और चीन जैसे देशों में इसकी इलेक्ट्रॉनिक्स टेस्टिंग चल रही है। नाक के टीके को सबसे प्रभावी माना जाता है। इस टीकाकरण कार्यक्रम में संक्रमण का सबसे कम जोखिम होता है। फिलहाल बच्चों के लिए वैक्सीन का परीक्षण किया जा रहा है।
साथ ही इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इस दवा के स्टोरेज की समस्या भी कम होगी। भारत फिलहाल बायोटेक नोजल वैक्सीन पर काम कर रहा है। जिसके दिसंबर तक 10 करोड़ डोज तैयार होने की संभावना हैं। फिलहाल इस वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। सीरम इंस्टीट्यूट के सहयोग से अमेरिकी कंपनी कोडाजेनिक्स इंट्रानैसल वैक्सीन कोविवैक (COVI-VAC) पर काम चल रहा है। यह भी सिंगल डोज वैक्सीन है। इसके अलावा अमेरिकी कंपनी एल्टीमन (Altimun) भी एडकोविड (Adcovid) नाम की वैक्सीन विकसित कर रही है। इसे नोजल सिस्टम से भी फीड किया जाएगा। जिसका क्लीनिकल ट्रायल पहले चरण में है। फिनिश कंपनी रॉकेट लैबोरेट्रीज भी इसी तरह के टीके पर काम कर रही है।