धान अधिप्राप्ति को लेकर बिहार में नहीं थम रही सियासत

धान अधिप्राप्ति को लेकर बिहार में नहीं थम रही सियासत

बिहार विधानसभा में भाजपा की विधायक श्रेयसी सिंह ने जमुई जिले में किसानों को धान खरीद की पक्की रसीद नहीं दिए जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे किसानों को भुगतान में परेशानी हो रही है।

पटना, 25 फरवरी (आईएएनएस)| किसानों की धान खरीदी की तारीख समाप्त हो गई है लेकिन विपक्ष धान खरीद की तारीख आगे बढ़ाने की मांग लगातार कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि अभी भी कई इलाकों में किसानों के पास धान है। इधर, गुरुवार को एक बार फिर विधानसभा में धान खरीदी का मामला उठा। कृषि विभाग के मंत्री अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि इस साल सरकार ने 35.59 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की है, जो एक रिकॉर्ड है। बिहार में कभी भी सरकार ने इतनी खरीद नहीं की है।

कृषि मंत्री ने कहा, "वर्तमान खरीफ विपणन मौसम में सूबे के 4,97,241 किसानों ने 35.59 लाख मीट्रिक टन धान को पैक्स औैर व्यापार मंडल के माध्यम से बेचा। यह विगत सभी विपणन वर्षों में हासिल उपलब्धि से अधिक है।"

कृषि मंत्री ने विधानसभा में भी कहा कि सरकार ने यह अनुमान लगाया है कि 21 फरवरी के बाद किसानों के पास धान नहीं बचता। मिल मालिकों और कारोबारियों की मदद करने को ले कर अधिप्राप्ति की तारीख बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है।

इधर, राजद के विधायक सुधाकर सिंह कहते हैं कि कैमूर सहित कई इलाकों में अभी भी किसानों के पास धान है। उन्होंने कहा कि कई इलाके में किसानों के धान सूखे नहीं होने के कारण खरीदी नहीं की गई है।

इधर, बिहार विधानसभा में भाजपा की विधायक श्रेयसी सिंह ने भी गुरुवार को धान खरीद का मामला उठाया। श्रेयसी ने जमुई जिले में किसानों को धान खरीद की पक्की रसीद नहीं दिए जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे किसानों को भुगतान में परेशानी हो रही है। श्रेयसी के इस सवाल पर कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि अगर ऐसा किसी जगह हुआ है तो हम उसकी जांच करवा देंगे।

इस बीच, भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य भी कहते हैं कि बिहार में धान अथवा अन्य फसलों की सबसे कम कीमत पर सबसे कम खरीद होती है। यहां धान का कारोबार पूरी तरह बिचौलियों के हाथों में है। हमारी पार्टी ने इन सवालों पर पूरे राज्य में 11 से 15 मार्च तक किसान यात्राओं का आयोजन करने का निर्णय किया है।

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