मानो या ना मानो : इटली में एक ट्रेन रहस्यमय तरीके से हुई थी गायब, समय से पीछे मिले ट्रेन के निशान

मानो या ना मानो : इटली में एक ट्रेन रहस्यमय तरीके से हुई थी गायब, समय से पीछे मिले ट्रेन के निशान

1911 में इटली में रहस्यमय तरीके से गायब हुई इस ट्रेन रहस्यमयी ट्रेन को पहली बार 1840 में मैक्सिको में देखा गया

विश्व का इतिहास ऐसी कई घटनाओं से भरा पड़ा है जिसके बारे में एक बार में विश्वास नहीं होता। ऐसी ही एक घटना का नाम समय यात्रा या टाइम ट्रेवलिंग है। अधिकांश वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा होना संभव नहीं है पर इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा हुआ है जो टाइम ट्रेवलिंग की संकल्पना को मजबूती देते है। एक ऐसी ही घटना इटली में घटित हुई है। क्या आप ये मान सकते है कि कोई ट्रेन एक समय पर किसी स्थान से चले और कही पहुंचे तो समय आगे बढ़ने के बदले पीछे चला गया है। 1911 में इटली में एक ट्रेन रहस्यमय तरीके से गायब हो गई और अभी भी उसका कोई पता नहीं चला है। हालांकि इसके लिए ये दावा भी किया गया था कि गायब हुई ट्रेन को इटली, रूस, जर्मनी और रोमानिया के कुछ हिस्सों में देखा गया था। आपने ऐसे कई ट्रेन दुर्घटना के बारे में सुना होगा पर जानकारी के अनुसार इटली में एक ट्रेन यात्रियों के साथ गायब हो गई है। ट्रेन कहां गई इसका आज तक पता नहीं चल पाया है। 1911 में इटली में रहस्यमय तरीके से गायब हुई इस ट्रेन रहस्यमयी ट्रेन को पहली बार 1840 में मैक्सिको में देखा गया था। 1911 में, ज़ानेटी नामक कंपनी की एक ट्रेन अपने अंतिम स्टेशन पर पहुँचने से पहले एक सुरंग में गायब हो गई। फिर इस ट्रेन की कोई खबर नहीं है।
आपको बता दें कि जून 1911 में एक इटली की रेलवे कंपनी, ज़ानेटी ने अपनी ट्रेन के एक नए मॉडल के लिए मुफ्त सवारी की घोषणा की। जिसके लिए रेलवे में 100 यात्रियों समेत 6 रेलकर्मी भी सफर कर रहे थे। ट्रेन में खाने-पीने की भी अच्छी व्यवस्था थी। यात्री आराम से अपने गंतव्य तक पहुंचने का इंतजार कर रहे थे। इस बीच ट्रेन एक सुरंग में पहुंचकर गायब हो गई। कई बार ट्रेन की तलाशी ली गई लेकिन ट्रेन का कोई पता नहीं चला। ट्रेन में सवार 106 लोगों में से 2 यात्री सुरक्षित बाहर आ गए, वे मानसिक रूप से विक्षिप्त थे. इलाज के बाद वो लोग मानसिक रूप से ठीक तो हो गए लेकिन घटना के बारे में कुछ भी बताने को तैयार नहीं थे। उनमें से एक ने बताया कि जब उनकी ट्रेन सुरंग में पहुंची तो ट्रेन में सफेद धुआं आने लगा। वहीं, ट्रेन में सवार यात्रियों में डर का माहौल बन गया और लोग चीखने-चिल्लाने लगे।
सभी को लगा कि ट्रेन के साथ कोई बड़ा हादसा हो गया है.इस गंभीर माहौल में 2 यात्री ट्रेन से बाहर निकलने में कामयाब रहे, उन्हें पता ही नहीं चला कि वे ट्रेन से कैसे उतर गए. बाद में सुरंग को बंद कर दिया गया। इस घटना से ट्रेन का रहस्य और भी पेचीदा हो गया था। कुछ लोगों के मुताबिक ट्रेन किसी अलौकिक शक्ति से कही और निकल गई और ट्रेन अतीत में पहुंच गई। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये एक समय यात्रा थी और इस घटना के बाद ट्रेन 1840 में मैक्सिको पहुंच गई थी. दशकों बाद, मेक्सिको में एक डॉक्टर ने दावा किया कि वह जिस अस्पताल में काम करते थे वहां लगभग 104 लोग भर्ती थे लेकिन ये सभी मानसिक रूप से बीमार थे। वो सभी लोग कह रहे थे कि वे ट्रेन से आए हैं लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।
प्रतिकारात्मक तस्वीर (Photo: pixabay..com)
इस ट्रेन के बारे में यह भी दावा किया गया था कि ट्रेन को इटली, रूस, जर्मनी और रोमानिया के कुछ हिस्सों में देखा गया था। ट्रेन देखने वालों ने कहा कि यह 1911 में गायब हुई ट्रेन की तरह लग रही थी। हालांकि इस ट्रेन के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिली। घटना के साक्ष्य भी नष्ट किए जा रहे थे लेकिन कुछ सामान ऐसे पाए गए जो लापता ट्रेन से जुड़े थे।
आपको बता दें कि न केवल दूसरे देशों में बल्कि हमारे देश में भी कुछ ऐसे रेलवे स्टेशनों को रहस्यमयी माना जा रहा है। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन को देश का सबसे भूतिया स्टेशन कहा जाता है। इस स्टेशन का उद्घाटन 1960 में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि संथाल रानी ने रेलवे स्टेशन को खोलने में अहम भूमिका निभाई थी। इस स्टेशन की शुरुआत में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन अचानक 7 साल बाद एक रहस्यमय दुर्घटना शुरू हो गई और यहां तक कि स्टेशन पर काम करने वाले लोगों ने भी स्टेशन पर काम करने से मना कर दिया। सालों से इस स्टेशन पर कोई ट्रेन खड़ी नहीं हुई। जब कोई दूसरी ट्रेन इस स्टेशन से गुजरती है तो पायलट ट्रेन की गति तेज कर देते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहाँ भूत ट्रेन पर हमला करते है। 2009 में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा इस स्टेशन को फिर से खोला गया था। स्टेशन के दोबारा खुलने के बाद से कोई गुप्त गतिविधि नहीं देखी गई है। अब स्टेशन पर 10 से अधिक ट्रेनें हैं लेकिन रात में अभी भी कोई ट्रेन नहीं है। लगभग 40 वर्षों से प्रेतवाधित पर्यटन में रुचि रखने वाले विदेशी पर्यटकों द्वारा इस स्टेशन का दौरा किया गया हैं।
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