कारोबार: मुंबई के इन पांच गुजरातियों ने किया कमाल, सालों पुरानी कंपनी में ली दो तिहाई हिस्सेदारी

कारोबार: मुंबई के इन पांच गुजरातियों ने किया कमाल, सालों पुरानी कंपनी में ली दो तिहाई हिस्सेदारी

6-वर्षीय पुराने स्टार्ट-अप फर्मइजी के पास 25-वर्षीय स्टॉक मार्केट-लिस्टेड थायरोकेयर में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी

भारत में यह पहली बार हुआ है कि किसी स्टार्टअप ने शेयर बाजार की सूचीबद्ध कंपनी को खरीदा हो। यह उपलब्धि 5 गुजरातियों की टीम ने हासिल की है। 6-वर्षीय पुराने स्टार्ट-अप फर्मइजी के पास 25-वर्षीय स्टॉक मार्केट-लिस्टेड थायरोकेयर में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है जो लगभग 4,500 करोड़ रु होता है। कंपनी के सीईओ सिद्धार्थ शाह से इसके बारे में पूछे जाने पर उन्होंने फार्मेसी की सफलता का श्रेय 5 सह-संस्थापकों के बीच की बॉन्डिंग को दिया।
मार्केट में लोकप्रिय एकल संस्थापक वाले अन्य स्टार्टअप के सामने फार्मइजी का मामला थोड़ा अलग है। यहां पांच सह-संस्थापकों ने इसकी कीमत अरबों में पहुंचा दिया। फार्मेसी के सीईओ और सह-संस्थापक सिद्धार्थ शाह खुद को और अपने साथी सह-संस्थापक धर्मिल सेठ, धवल शाह, हर्ष पारेख, हार्दिक डेढिया को "घाटकोपर के गुज्जू गैंग" के रूप में प्रदर्शित करते है। इस बारे में सिद्धार्थ कहते हैं, ''मुंबई में व्यंग्य के तौर पर इस्तेमाल होने वाले इस लेबल पर उन्हें गर्व है और इसी पहचान ने कंपनी को इतना सफल बना दिया है। ”
आपको बता दें कि 1996 में डॉ. वेलुमणि ने थायरोकेयर की स्थापना की। इससे पहले वो मुंबई में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) में एक वैज्ञानिक के रूप में काम किया करते थे। थायरोकेयर की पहली प्रयोगशाला मुंबई के भायखला में शुरू हुई और आज परीक्षण के आंकड़ों के आधार पर देश की सबसे बड़ी परीक्षण कंपनी होने का दावा करती है। थायरोकेयर के 3,300 से अधिक संग्रह केंद्र 2,000 से अधिक शहरों में स्थित हैं। ये सभी केंद्र अब फर्मइजी के साये में संचालित होंगे।
(Photo:tv9gujarati.com)
सिद्धार्थ ने दिलचस्प जानकारी देते हुए बताया कि जब थायरोकेयर डील चल रही थी, तब उन्होंने थायरोकेयर के एमडी डॉ. वेलुमणि से मजाक में कहा कि उनके पास बहुत सारी दौलत आने वाली है और डॉक्टर ने जवाब दिया कि अब जब उन्होंने इतनी संपत्ति हासिल कर ली है, तो वह फार्मईजी में निवेश करने की सोच रहे हैं। अंत में डॉ. फर्मइजी की मूल कंपनी API होल्डिंग्स में वेलुमणि की 4.96 फीसदी (लगभग 1,500 करोड़) हिस्सेदारी ले ली है। यह देखा जाना बाकी है कि गुजरातियों द्वारा स्थापित फर्मइजी लोगों के जीवन में कितनी आसानी ला सकती है।