सूरत : कोरोना काल की मंदी का भी फर्जी ITC घोटालेबाजों पर कोई असर नहीं हुआ

सूरत : कोरोना काल की मंदी का भी फर्जी ITC घोटालेबाजों पर कोई असर नहीं हुआ

मात्र दक्षिण गुजरात में ही लिया गया 800 करोड़ का फर्जी रिफ़ंड, फ्रिज किए गए 400 कंपनियों के रिफ़ंड

पिछले डेढ़ साल से सूरत सहित देश भर में व्यापार उद्योग की हालत काफी खराब हो गई है। पिछले देश साल में लगभग 6 महीने के लिए सभी व्यापार बंद रहे थे। हालांकि उसके बाद हुये अनलॉक में भी उनकी हालत फिर भी बंद जैसे ही थी। हालांकि कोरोना महामारी के दौरान घोटालेबाजों पर इसकी कोई असर नहीं हुआ और बोगस बिलिंग के जरिये मात्र दक्षिण गुजरात में ही 800 करोड़ से भी अधिक का रिफ़ंड लिया गया। 
सरकार को जैसी ही इस बारे में पता चला तुरंत ही 400 से भी अधिक फर्जी कंपनियों का रिफ़ंड ब्लॉक करने की और उनकी जांच करने की सूचना दी गई। बता दे की जब से जीएसटी का कानून लागु हुआ है, तब से देश में फर्जी आईटीसी घोटालों के मामले में दिल्ली प्रथम और सूरत दूसरे स्थान पर रहा है। सूरत और दक्षिण गुजरात में टेक्सटाइल, डायमंड, केमिकल, यार्न, मेडिसिन सहित कई तरह के उद्योग है। जिसके चलते घोटालेबाजों को काफी बड़ा स्कोप मिलता है। समय समय पर स्टेट जीएसटी और सेंट्रल जीएसटी तथा अन्य एजंसियों द्वारा इन घोटालेबाजों पर कार्यवाही भी की जाती है, पर फिर भी उन्हें मानों इससे कोई फर्क ही नहीं पड़ता। बता दे की देश भर में इस तरह के घोटालेबाजों पर कार्यवाही करने के लिए जॉन अनुसार इंटेलीजन्स यूनिट की रचना की गई है। जो की रिफ़ंड लेने वाले ग्राहकों पर नजर रखती है। यह यूनिट जीएसटीआर फ़ाइल करने में अनियमित तथा जिनका रिफ़ंड अचानक से बढ़ गया हो या घट गया हो उनके पर नजर रखते है। पिछले देश साल में लगभग 600 करोड़ से अधिक फर्जी रिफ़ंड की जानकारी इन टीमों द्वारा दी गई है। जिसमें 200 से भी अधिक लोगों के शामिल होने की आशंका है। 
जब यूनिट द्वारा घोटालेबाजी करने वाली कंपनियों का नाम दिया गया तो लगभग 90 प्रतिशत केसों में तो वहाँ कोई भी कंपनी थी ही नही। मात्र कागज पर कंपनी बना कर नकली बिल बना कर कौभांड किया जा रहा था। हालांकि अधिकतर केसों में जिनके नाम पर कंपनी होती है उनके दस्तावेज़ फर्जी होते है, जिसके कारण उनको हिरासत में लेना मुश्किल हो जाता है। 
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