फिल्म रिव्यु : जानिए क्या रंग लाई जाह्नवी कपूर की ‘मिली’, क्या अपने अभिनय से लोगों के दिल में बना पाएंगी जगह

फिल्म रिव्यु : जानिए क्या रंग लाई जाह्नवी कपूर की ‘मिली’, क्या अपने अभिनय से लोगों के दिल में बना पाएंगी जगह

अधिकांश लोगों को अच्छी लगी फिल्म, मलयालम फिल्म 'हेलेन' की रीमेक है, मिली

बॉलीवुड में बीते एक-ढेड़ दशक से दक्षिण फिल्मों के रीमेक को बनाना सबसे आसान और सुरक्षित विकल्प माना जाता है। यही कारण है कि बॉलिवुड के फिल्मकार लगातार साउथ फिल्मों का रीमेक बनाते जाते हैं। अब बॉलीवुड की बेहतरीन अदाकारा स्वर्गीय श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर की फिल्म ‘मिली’, जो की मलयालम फिल्म 'हेलेन' की रीमेक है, कल सिनेमाघरों में आ गई है। इस फिल्म पर अब दर्शकों और क्रिटिक्स दोनों की नजर है। यह फिल्म एक सर्वाइवल थ्रिलर है जिसमें दिखाया गया है कि मिली एक कोल्ड स्टोरेज में फंस गई है। फिल्म के दौरान वह जीवन जीने के लिए चुनौतियों से भिड़ती नजर आई है। इतना ही नहीं इस फिल्म में और भी कई दिलचस्प मोड़ है। 

क्या है 'मिली' की कहानी


इस फिल्म  की कहानी की बात करें तो कहानी छोटे शहर देहरादून की है, जहाँ की पली-बढ़ी हंसमुख और मिलनसार मिली यानि जाह्नवी कपूर अपने पिता यानी मनोज पाहवा के साथ रहती है। पिता बीमार हैं और एक इंश्योरेंस एजेंट के रूप में काम करते हैं। अपने पापा की लाड़ली मिली उन्हें सपोर्ट करने के लिए एक मॉल के फूड जॉइंट में पार्ट टाइम जॉब करती है। पिता की मदद करने करने के लिए मासूम मिली कनाडा जाकर नर्सिंग का कोर्स करना चाहती है। इसके लिए ही वह इंग्लिश स्पीकिंग की क्लासेज ले रही है। फिल्म में  उनके बॉयफ्रेंड समीर कुमार उनके साथ खड़े रहते है।


आगे की कहानी में मिली की जिंदगी में मुसीबतों की शुरुआत तब होती है अपनी जिंदगी के सपनों और पिता तथा बॉयफ्रेंड के बीच सामंजस्य बैठाने की कोशिश में लगी मिली के प्रेमी समीर के साथ जिस रात घर लौट रही होती है, उसी रात पुलिस समीर को ड्रंक और ड्राइव के केस में पकड़ लेगी। उसके पिता को पुलिस स्टेशन आना पड़ता है और हालात ऐसे पैदा होते हैं कि पिता के सामने समीर की छवि तो खराब होती ही है, वो मिली से भी नाराज हो जाते हैं।  पिता को मनाने की उधेड़बुन में लगी मिली एक सिचुएशन में फूड जॉइंट के कोल्ड स्टोरेज रूम में माइनस 17 डिग्री की खून जमा देने वाली ठंड में फंस जाती है। उसकी इस जानलेवा हालत से हर कोई अनजान है। पिता, समीर, पुलिस हर कोई उसे सारे शहर में ढूंढ रहा है, तो क्या मिली उस कोल्ड स्टोरेज में सर्वाइव कर पाएगी? उसकी जान बचेगी या नहीं? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

जाह्नवी कपूर की शानदार अदाकारी


इस साल पहले आई गुडलक जेरी को द्वारा दर्शकों के दिल में जगह बनाने वाली जाह्नवी को दर्शकों ने उनकी अगली फिल्म में काफी सराहा है। अब तक रिलीज हुई फिल्मों में वह मिली में सबसे अच्छा किरदार निभाया है। फिल्म में उनकी अदाकारी बिल्कुल वास्तविक झलकती है। मिली की बेबसी, लाचारी और हताशा को दर्शक बखूबी महसूस कर सकते हैं। साथ ही वे ये भी महसूस कर सकते हैं कि कोल्ड स्टोरेज में फंसी मिली पर क्या बीत रही होगी। बेहतरीन परफार्मेंस की वजह से जाह्नवी की इस फिल्म दर्शकों को आखिरी तक तक सिनेमाघरो में रूकने को मजबूर किया।

'मिली' का रिव्यू 


फिल्म के बारे में बात करें फिल्म के फर्स्ट हाफ का नरेटिव काफी सिंपल और सोबर है, जबकि सेकंड हाफ के बाद कहानी ट्विस्ट और टर्न के साथ आगे बढ़ती है और जैसे-जैसे कोल्ड स्टोरेज में मिली की जद्दो-जहद बढ़ती जाती है। थिएटर में भी ऐसी का तापमान गिरता हुआ महसूस होता है। हालांकि, इसके बावजूद निर्देशक इस स्थिति को और ज्यादा रोंगटे खड़ा कर देने वाला बना सकते थे। इसके नकारात्मक पहलु पर बात करें तो मिली के संघर्ष को और जटिल बनाया जा सकता था, निर्देशक और ड्रामा और आतंक पैदा कर सकते थे। तकनीकी पक्ष की बात करें, तो सुनील कार्तिकेयन की सिनेमेटोग्राफी फिल्म की रफ्तार को बढ़ाती है। फ्रीजर के अंदर टेंशन को बनाने के लिए कई क्लोजअप शॉट्स का उपयोग किया गया है। वहीं, एआर रहमान कुछ शानदार संगीत लेकर आए हैं, जिसके बोल लिखे हैं जावेद अख्तर ने। मोनीषा बलदेवा का संपादन अगर थोड़ा चुस्त होता, तो फिल्म का क्लाइमेक्स और रोमांचकारी हो सकता था।
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