सूरत : डिजिटल प्रिन्ट्स एवं डिजिटल लेन-देन कपड़ा व्यापार के लिए बेहतर

सूरत : डिजिटल प्रिन्ट्स एवं डिजिटल लेन-देन कपड़ा व्यापार के लिए बेहतर

देश भर के लोकल बाजारों में जब तक ग्राहकी नहीं निकलती तब तक सूरत के कपड़ों की मांग नहीं होती

सूरत के उधना क्षेत्र स्थित मिलेनियम मार्केट-4 (एम-4) के 5161 में नंदिनी साड़ी के नाम से कपड़े का कारोबार करते सुरेंद्र चुग बताते हैं कि हाल में कपड़ा मार्केट में न तो बहुत मंदी है और न ही बहुत तेजी। यानी धीमी गति से मार्केट में काम चल रहा है। जिससे मार्केट में मनी क्राइसेस बना हुआ है। देश भर के लोकल बाजारों में जब तक ग्राहकी नहीं निकलती तब तक सूरत के कपड़ों की मांग नहीं होती। जब लोकल बाजारों में ग्राहकी निकलती है  तब बाहर की मंडियों के व्यापारी सूरत की ओर रुख करते हैं। 

कोरोना के बाद कपड़ा मार्केट में ग्राहकी बहुत अच्छा रहा

सुरेन्द्र चुग बताते हैं कि कोरोना के बाद कपड़ा मार्केट में ग्राहकी बहुत अच्छा रहा। हालांकि हाल के दिनों में कोरोना का कोई प्रभाव मार्केट पर नहीं है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष अप्रैल के बाद मार्केट में कोई उछाल देखने को नहीं मिला। दीपावली के समय में ग्राहकी न के बराबर थी। उसका मूल कारण है उत्तर भारत में शरद ऋतु की शुरुआत। उत्तर भारत की सर्दी की शुरुआत होने के साथ ही उत्तर भारत की मंडियों के सभी व्यापारी गर्म कपड़ों की तैयारी शुरू कर देते हैं। कारण कि उत्तर भारत में शीत ऋतु में कड़ाके की ठंड पड़ती है, जिससे वहां गर्म कपड़ों की बिक्री खूब होती है। यों कहे कि गर्म कपड़ों का ही बाजार रहता है। जिससे व्यापारी वर्षा ऋतु की समाप्ति के बाद से ही सूरत की मंडी से माल खरीदना लगभग बंद कर देते हैं और दिसंबर के अंतिम एवं जनवरी के दूसरे सप्ताह से सूरत की ओर रुख करते हैं। 

हाल के दिनों में डिजिटल क्रांति चल रही हैं

 डिजिटल मार्केट के बारे में बताते हुए सुरेन्द्र चुग ने कहा कि हाल के दिनों में डिजिटल क्रांति चल रही हैं। एक ओर जहां डिजिटल प्रिंट की शुरुआत होने से नित नए डिजाइन आसानी से उपलब्ध होते जा रहे हैं, वही डिजिटल लेनदेन से बैंकिंग कामकाज में सहूलियत हुई है। बैंकों का जाना आना कम हो गया है। यानी आज डिजिटल लेन देन का आसान तरीका बन गया है। हाल के दिनों में अधिक माल बेचकर लंबी उधारी देने से बेहतर है गुणवत्ता में सुधार करना। यदि व्यापारी क्वालिटी में सुधार करते हैं तो उनके कपड़े की मांग हमेशा बनी रेहगी। जब डिमांड रहेगी तो माल नकद में बेच सकते हैं। 
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