सूरत : ये है सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल, एक वीडियो पोस्ट होने के कारण 25 साल बाद अपने परिवार से मिल सका एक युवक

सूरत : ये है सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल, एक वीडियो पोस्ट होने के कारण 25 साल बाद अपने परिवार से मिल सका एक युवक

25 साल पहले काम के सिलसिले में सूरत आने के बाद पच्चीस साल का एक युवक अपने परिवार से बिछड़ गया था जो अब एक सोशल मीडिया पोस्ट के कारण वापस अपने परिवार से मिल सका

आज सोशल मीडिया लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। हालांकि इसके अच्छे और बुरे दोनों पहलू हैं, लेकिन इसका विवेकपूर्ण उपयोग बहुत लाभदायक हो सकता है। हाल ही में हुई एक घटना ने इस बात को सही शाबित कर दिया। सोशल मीडिया पर एक ही पोस्ट की ताकत का एक उदाहरण हाल ही में देखने को मिला, जब पच्चीस साल का एक युवक 25 साल बाद अपने परिवार से मिल सका। 25 साल पहले काम के सिलसिले में सूरत आने के बाद पच्चीस साल का एक युवक अपने परिवार से बिछड़ गया था जो अब एक सोशल मीडिया पोस्ट के कारण अपने परिवार से फिर मिल सकें।


वीडियो पोस्ट होने के दो-तीन दिन के भीतर ही भाई का कॉल आ गया

जानकारी के अनुसार सूरत के पर्वत पाटिया क्षेत्र के जिगरभाई राव ने सूरत महानगर पालिका के शेल्टर होम में रहने वाले मदनभाई पांडे का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालने के दो-तीन दिन के भीतर बिहार के दरभंगा से पवनभाई पांडे का फोन आया। इस कॉल करने वाले ने बताया कि मदन पाण्डेय उसके मेरे बड़े भाई हैं, जो पच्चीस साल पहले, नौकरी के लिए सूरत गये थे और फिर कभी नहीं लौटे। बातचीत के बाद पवनभाई अपने बड़े भाई को लेने सूरत पहुंचे। 25 साल बाद 50 साल के हुए मदनभाई अपने परिवार से मिले तो सभी दंग रह गए।  सम्पूर्ण घटना के मुताबिक 25 वर्ष पहले बिहार के दरभंगा से कुछ साथियों के साथ सूरत कमाने-खाने आए मदन पांडेय नामक व्यक्ति का शुरुआती दौर बहुत अच्छा रहा और वे अपनी पहली कमाई के 5 हजार रुपए पटना जाकर माता-पिता को सौंपकर भी आए लेकिन, उसके बाद मदन की बुरी कहानी शुरू हो गई और कहीं गिरने-पडऩे से उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत हो गई। दिव्यांग अवस्था में वे काफी समय से परवत पाटिया क्षेत्र में मनपा संचालित दीनदयाल आश्रय में रह रहे थे। यहीं पर मदन का सम्पर्क सामाजिक कार्यकर्ता जिगर रावल से हुआ और सोशल मीडिया पर मामूली से प्रयास में दिव्यांग मदन पांडेय को लेने उनके भाई पवन पांडेय छत्तीसगढ़ के कोरबा से चलकर रविवार को ही सूरत आ गए।


काम के लिए सूरत आया था युवक, 25 सालों से किसी से नहीं था संपर्क

इस बारे में पवनभाई पांडे ने कहा कि मेरे बड़े भाई मदन पांडे पच्चीस साल पहले नौकरी के लिए सूरत आए थे। उसके बाद एक बार वह पटना आये थे, जहाँ मां से मिले। मदन ने माँ को पांच हज़ार रुपये दिए। फिर वापस सूरत आ गया। वो उनकी हम सबसे आखिरी मुलाकात थी, उससे कोई संपर्क नहीं हो सका। हमारे पास उनका कांटेक्ट नंबर नहीं था। लेकिन मैंने उसे खोजने की पूरी कोशिश की, सूरत में अपने चार या पांच दोस्तों के माध्यम से खोजा, लेकिन मदनभाई का पता नहीं चला। इस बीच, मेरे माता-पिता की मृत्यु के बाद, मेरी शादी हो गई और मेरी पत्नी और बच्चों को पालने की जिम्मेदारी में मेरी तलाश बंद हो गई। अभी चार-पांच दिन पहले मेरे एक दोस्त ने मुझे एक वीडियो भेजा, मैंने वीडियो देखकर भाई को पहचान लिया। मेरी पत्नी ने भी कहा कि हमारे माता-पिता नहीं हैं और अगर बड़ा भाई हमसे दोबारा मिलते हैं इससे बेहतर और क्या होगा! वह उन्हें घर ले आएगा। जब वे सूरत पहुंचे और अपने भाई से मिले तो उनकी हालत खराब थी। वह यहां एक शेल्टर होम में रहते थे। वही मदनभाई एक ही बात दोहरा रहे थे कि ‘मैं जिगर भाई का शुक्रगुजार हूँ। मुझे घर वापस ले चलो, इतने सालों बाद अपने भाई से मिलकर खुश हूं।’

तीन व्यक्तियों का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उन्हें अपने परिजनों के साथ घर भिजवाया- जिगरभाई

वहीं इन सब में वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले जिगरभाई रावल ने कहा कि वो दीनदयाल आश्रय स्थल पर सडक़ किनारे अथवा यहां-वहां कई दिनों से बैठे लोगों को छोडऩे के लिए जाता रहता हूं और पिछले दिनों ही ऐसे तीन व्यक्तियों का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उन्हें अपने परिजनों के साथ घर भिजवाया था। आश्रय स्थल में काफी समय से रह रहे दिव्यांग मदन पांडेय ने भी घर भिजवाने की बात कही और उनका वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया और सूरत में रह रहे दरभंगा निवासी प्रणव चौधरी ने दिव्यांग मदन को पहचान लिया और उनकी जानकारी परिजनों तक पहुंचा दी।