सूरत: महंगे कोयले की जगह मिल के बोइलर में जलाते थे टेक्सटाइल कचरा, GPCB की कार्रवाई से प्रदूषण माफियाओं में खलबली पलसाना की मिल में लगा ताला

सूरत: महंगे कोयले की जगह मिल के बोइलर में जलाते थे टेक्सटाइल कचरा, GPCB की कार्रवाई से प्रदूषण माफियाओं में खलबली पलसाना की मिल में लगा ताला

अधिकांशतः दिन के समय होने वाले रेड में मिल मालिक बच निकलते है, इस बार अधिकारियों ने रात में ही मारा छापा

जीपीसीबी की टीम ने अपनी जांच में पाया कि पलसाणा के गुजरात इको टेक्सटाइल पार्क में स्थित श्री संतकृपा सिल्क मिल के बॉयलरों में कोयले का उपयोग करने के बजाय पैसे बचाने के लिए कपड़ा कचरे (टेक्सटाइल वेस्ट) को जलाया जा रहा है। इस पर  जीपीसीबी ने तत्काल प्रभाव से मिल को बंद कर आगे की कार्रवाई की है।
जीपीसीबी को व्यापक शिकायत की गई थी कि पलसाना क्षेत्र में कुछ मिलें पैसे बचाने के लिए कोयले के बजाय कपड़ा कचरे का उपयोग कर रही हैं। कोयले की जगह कपड़ा कचरा जलाने का कारण यह है कि कोयले की कीमत 8 से 11 हजार रुपए प्रति टन की दर से वसूल की जा रही है। इसके बजाय, कपड़ा कचरा दो से तीन हजार प्रति टन की कीमत पर उपलब्ध है।  इसलिए इसके उपयोग से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जीपीसीबी की क्षेत्रीय अधिकारी जिजना ओझा और उनकी टीम ने ऐसे तत्वों को पकड़ने के लिए शुक्रवार देर रात पलसाना इलाके में जांच की। इस जांच में वे पलसाना के गुजरात इको टेक्सटाइल पार्क स्थित श्री संथकृपा सिल्क मिल के बॉयलर में कपड़ा कचरा जलाते हुए पकड़े गए। साथ ही एक टन से अधिक कपड़ा कचरा भी स्थल पर पाया गया औए इसके लिए तत्काल प्रभाव से मिल को बंद कर कानूनी कार्रवाई की गई है।
आपको बता दें कि मिल द्वारा अधिकांश रात के समय बॉयलरों में कपड़ा अपशिष्ट जलाने के लिए उपयोग किया जाता है, क्योंकि रात के समय शायद ही किसी अधिकारी द्वारा जांच की जाती है। जीपीसीबी की टीम ने जब पहली बार इस तरह से जांच शुरू की तो इससे हड़कंप मच गया। जबकि इस तरह से जांच की डिटेल आने वाले दिनों में भी पता चली है।
गौरतलब है कि ऐसे मामलों में जब भी अधिकारी किसी मिल की जांच को जाते है तो सबसे पहले उन्हें तत्काल प्रवेश नहीं दिया जाता है। लगभग आधे से एक घंटे बिगाड़ दिया जाता है। इससे एक तो बॉयलर में कपड़ा कचरे को जल्दी से निपटाने और उसे साइट से उसे हटाने की व्यवस्था की जाती है।  ऐसे में इस तरह का जघन्य कारोबार करने वाली मिलों के खिलाफ शायद ही कोई कार्रवाई हो। लेकिन अगर अधिकारी सख्ती दिखाते हैं तो कुछ मिलें बंद हो सकती हैं।
Tags: Surat