सूरत : विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस, प्रकृति संरक्षण के लिए जागरूकता से लेकर कार्रवाई तक

सूरत : विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस, प्रकृति संरक्षण के लिए जागरूकता से लेकर कार्रवाई तक

30 चयनित स्कूलों में से प्रत्येक के लगभग 120 छात्रों को फिर रिस्पॉन्सिबल एनर्जी यूजर्स यानी संरक्षण राजदूतों में परिवर्तित करने के उद्देश्य से सूचीबद्ध किया जाएगा

ग्रीनमॉस्फियर प्रोजेक्ट के तहत, एक स्वस्थ ग्रह प्राप्त करने के लिए, काम करने की तत्काल आवश्यकता 
टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में बढ़ती प्रगति के साथ, लोगों को जीवन में एक प्राकृतिक सूनेपन से भी गुजरना पड़ता है। इसलिए, हम में से प्रत्येक के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम प्रकृति के संरक्षण के लिए मदद देकर, प्रकृति में बढ़ोतरी का अनुभव करें। इस विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर, अदाणी टोटल गैस लिमिटेड (एटीजीएल) द्वारा ग्रीनमोस्फीयर नामक एक पहल शुरू की गई है, जो अन्य कॉरपोरेट्स के लिए सूट का पालन करने का एक तरीका है।
कारण: इस पहल के एक अभिन्न अंग के रूप में युवा पीढ़ी को प्रकृति के संरक्षण के लिए शामिल किया गया है, क्योंकि यह समय की मांग है कि युवाओं को इस मंत्र को अपनाने व इसे चलाने के लिए जागरूक किया जाए। भविष्य हमारे बच्चों के हाथ में है। जो भरोसा और आदतें बनाने में हम उन्हें मदद करेंगे, वो विश्वास और आदतें हैं, दुनिया पर प्रतिबिंबित करेंगी (पढ़ें: ग्रह)। इसके अलावा, ग्रीनमॉस्फियर प्रोजेक्ट के तहत, एक स्वस्थ ग्रह प्राप्त करने के लिए, काम करने की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए, सीईआरसी (उपभोक्ता शिक्षा और अनुसंधान केंद्र) - एटीजीएल ग्रीनमॉस्फियर स्टूडेंट्स क्लब को 30 चयनित स्कूलों के छात्रों के लिए, संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया है, और जो सहभागी गतिविधियों के माध्यम से उन्हें भविष्य के 'संरक्षण राजदूतों' के रूप में परिवर्तित करेगा।
यह देखते हुए कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग ने पृथ्वी ग्रह के नागरिकों के जीवन में तबाही लाने का काम किया है और आने वाले दशकों में यह और भी बुरा होगा, इसलिए यह प्रोजेक्ट बच्चों को परिवर्तन एजेंट के रूप में बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इस दिशा में प्रगति के लिए, ऊर्जा, पानी, भोजन, अपशिष्ट से सर्वश्रेष्ठ और सामुदायिक जिम्मेदारी जैसे कन्वर्जन टॉपिक्स के साथ, स्कूल स्तर पर एक दीर्घकालिक अभियान चलाया जा रहा है।
30 चयनित स्कूलों में से प्रत्येक के लगभग 120 छात्रों को फिर रिस्पॉन्सिबल एनर्जी यूजर्स यानी संरक्षण राजदूतों में परिवर्तित करने के उद्देश्य से सूचीबद्ध किया जाएगा। इस ऑन गोइंग प्रोजेक्ट के तहत, कक्षा 6 से 8 तक के छात्र पहले वर्ष (स्कूल के साथ-साथ घर पर) में ऊर्जा खपत के पैटर्न में बदलाव लाने के लिए कई मजेदार गतिविधियों के साथ, इंटरैक्टिव लर्निंग में लगे हुए हैं। वहीं सहभागी गतिविधियों के माध्यम से, पहले वर्ष में छात्र, ऊर्जा, वैकल्पिक रूपों, पर्यावरणीय प्रभावों, ऊर्जा का संरक्षण कैसे करें, हरित विकल्पों का उपयोग करें और सबसे महत्वपूर्ण यह कि स्कूल और घरेलू स्तर पर ऊर्जा खपत की निगरानी कैसे करें, पर ज्ञान प्राप्त करेंगे।
 इसके बाद सबसे सक्रिय छात्रों की पहचान की जाएगी और "संरक्षण राजदूतों" की टीमों का गठन किया जाएगा। ये संरक्षण राजदूत ऐसे लीडर्स होंगे, जो ऊर्जा संरक्षण के संदेश को मज़ेदार और दिलचस्प तरीके से दूसरों तक फैलाने के लिए प्रदर्शनियों, नुक्कड़ नाटकों, चित्रकला प्रतियोगिताओं आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने का काम करेंगे।
बायोडायवर्सिटी और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए, इस तरह की कॉर्पोरेट प्रतिबद्धता और समर्थन से वनों, वन्यजीवों, पारिस्थितिक तंत्र और उनकी सेवाओं को हुए नुकसान की भरपाई में एक लंबा सफर तय किया जा सकता है। जब हम कम उम्र से ही बच्चों में पर्यावरण संरक्षण के महत्व को सुदृढ़ करते हैं, तो वे अपने द्वारा लिए गए निर्णयों के प्रति सचेत होने के काबिल बनते हैं। यह बच्चे को एक ग्रीन माइंडसेट और पर्यावरण के अनुकूल स्किल्स विकसित करने में मदद करेगा, जिसे वे जीवनभर अपने साथ रखेंगे। और सही मायने में यही हमारे ग्रह के भविष्य का निर्धारण करेगा। यह देखना अद्भुत है कि कैसे कुछ सरल क्रियाएं, लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव छोड़ सकती हैं।

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