सूरत : एपीएमसी में अविश्वास प्रस्ताव पर सोमवार को होगा मतदान

सूरत : एपीएमसी में अविश्वास प्रस्ताव पर सोमवार को होगा मतदान

वर्तमान अध्यक्ष रमन जानी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव बोर्ड के निदेशकों द्वारा ही पेश किया गया

सवाल यह उठता है कि निदेशकों ने बोर्ड की बैठकों में प्रशासनिक मामलों में कोई आपत्ति क्यों नहीं उठाई: दर्शन नायक
सूरत एपीएमसी गुजरात की सबसे बड़ी सब्जी मंडियों में से एक है। यह 1,30,611 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है और सूरत शहर सहित चौर्यासी तालुकों और 110 गांवों में कार्य करता है। यहां गुजरात के अलावा अन्य राज्यों से भी सब्जियां आती हैं।
दक्षिण गुजरात में सहकारीता एवं किसान नेता दर्शन नायक ने जानकारी देते हुए कहा कि जब सूरत एपीएमसी की स्थापना की गई थी, इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि किसानों को उनकी उपज से उचित आर्थिक आय के साथ-साथ सहकारी मूल्यों को बनाए रखा जाए। हालांकि, पिछले कई सालों से सूरत एपीएमसी प्रशासकों द्वारा कुप्रबंधन के बारे में व्यापक शिकायतें मिली हैं। किसानों को सब्जियों के उचित दाम नहीं मिलने या प्रशासन में कमियों के मुद्दे पर बार-बार जिला पंजीयक और राज्य सरकार को ज्ञापन देने के बावजूद आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। इसके विपरीत प्रशासकों को क्लीन चिट दी गई तो वह आज संगठन के निदेशक है। 
जबकि सूरत एपीएमसी के वर्तमान अध्यक्ष रमन जानी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव बोर्ड के निदेशकों द्वारा ही पेश किया गया है, सवाल यह उठता है कि निदेशकों ने बोर्ड की बैठकों में प्रशासनिक मामलों में कोई आपत्ति क्यों नहीं उठाई। पिछले तीन साल में ऐसा क्या हुआ कि मौजूदा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा? भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता लंबे समय से सूरत एपीएमसी को राजनीतिक मंच के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
ऐसे समय में जब वर्तमान बोर्ड का कार्यकाल अगले 5 महीनों में समाप्त हो रहा है, अध्यक्ष रमन जानी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ कई सवाल और संदेह भी उठते हैं। क्या भूमि सौदे के प्रशासन पर परदे के पीछे का लेन-देन या विवाद है? दाल में कुछ काला है या पूरी दाल काली होने का अंदेशा है? यह एक गूढ़ और विचारोत्तेजक पहेली भी है। किसान और सहकारिता नेताओं और राजनीतिक नेताओं को इस बारे में सोचना चाहिए। अगर ऐसी नीति और सहकारी मूल्यों और किसानों के उत्थान की बात करने वालों की संदिग्ध भूमिका सामने आती है तो दुनिया के गरीब किससे शिकायत करेंगे? आज की सहयोग की भावना बिना सहयोग के नही उद्घार की नीति के बदले बिना लाभ नही सहयोग की निति लागू की जा रही है। मौजूदा राजनीति में सत्ता, पैसे और कुर्सी के खेल के बाद सहकारिता क्षेत्र में इस तरह के खेल की शुरुआतअब किस सहकारी समिति और अध्यक्ष की बारी हैं।
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