सूरत : किम नदी में जीआईडीसी से निकल रहा रासायनिक दूषित पानी, जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग

सूरत : किम नदी में  जीआईडीसी से निकल रहा रासायनिक दूषित पानी, जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग

केमिकलयुक्त जहरिले पानी से खेती की जमीन भी प्रदुषित हो गई है जिसके चलते किसान, जीवसृष्टी और मवेशियों का जीवन जोखिम में

सहकारिता एवं किसान नेता दर्शन नायक (महासचिव गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी) ने जीपीसीबी के प्रादेशिक अधिकारी को ज्ञापन दिया
सूरत जिले से गुजरने वाली किम नदी तीन तालुकों के नागरिकों और किसानों के लिए एक जीवन रेखा है। इस किम नदी में पिछले कुछ समय से प्रदुषण बढ़ जाने के कारण कीम नदी मृतप्राय हो गई है। 
सूरत जिले के कुडसद, नवापुर, किम, पालोद, मोटा बोरसारा, नवापुर जीआईडीसी के साथ-साथ पिपोदरा में 46 से अधिक रंगाई मिलों को गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शून्य निर्वहन की शर्त पर इकाई संचालित करने की अनुमति दी गई है। लेकिन इन औद्योगिक इकाइयों और रंगाई मिलों से जहरीले रसायनों वाले प्रदूषित पानी को संचालकों द्वारा बिना किसी उपचार प्रक्रिया के अवैध पाइपलाइनों के माध्यम से गटर / सीवर में बहा दिया जाता है। जिससे किम नदी में भारी प्रदूषण हो रहा है। यह रसायन- जहरीले प्रदूषित पानी से भरा होने के कारण किम नदी के जीवसृष्टी को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है।
सूरत जिले के तीन तालुकों में किसान सिंचाई के लिए किम नदी के पानी का उपयोग करते हैं। नदी में प्रदुषण और जहरीले केमिकल के कारण खेती की जमीन भी प्रदुषित हो रही है और केमिकल से किसानों के स्वास्थ भी बिगड रहा है। प्रदुषित पानी और जमीन के कारण साल के 12 महीनों तक किसान खेती नहीं कर सकते। जहरीले रसायनों से युक्त किम नदी का पानी मवेशियों के लिए भी पीने योग्य नहीं है।
 गुजरात प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ( जीपीसीबी) के प्रादेशिक कार्यालय के अधिकारी को दर्शन नायक ने ज्ञापन देकर जीआईडीसी और रंगाई मिलों के अंदर गड्ढों/गटरों में अवैध पाइपलाइनों के माध्यम से बहाएं जा रहे जहरीले केमिकलों की जांच करने की मांग की है। किसानों और जनहित में मांग और भावना है कि तथ्यों की जांच कर उचीत कार्रवाई की जानी चाहिए।
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