सूरत : अमेरिकी खरीदार हीरा कारोबारियों से लिखित में स्पष्टीकरण मांग रहे कि बेचा गया हीरे का मूल रूसी नहीं!

सूरत : अमेरिकी खरीदार हीरा कारोबारियों से लिखित में स्पष्टीकरण मांग रहे कि बेचा गया हीरे का मूल रूसी नहीं!

बिल में लिखित में स्पष्टीकरण देने से पेशोपेश में हीरा करोबारी

"ये हीरे रूसी रफ से नहीं बने हैं‘। अमेरिकी बायर्स सूरत शहर में हीरा व्यापारियों से बिल में इस प्रकार से लिखित में देने की मांग कर रहे हैं, जिससे व्यापारी पेशोपेश में है। ।"
बता दें कि यूक्रेन और रूस में युद्ध की स्थिति को देखते हुए अमेरिका ने रूस के रफ पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत में आयातित कुल कच्चे माल का लगभग 30 प्रतिशत रूस से आता है। अमेरिका द्वारा इस रफ पर प्रतिबंध लगाने के साथ, भारत में और विशेष रूप से सूरत में रफ की कम आपूर्ति शुरू हो गई है। पिछले 2 सप्ताह से हीरा कारखानों में 2 दिन की छुट्टी शुरू हो गई है। रफ की कम आपूर्ति के कारण तैयार हीरों की मांग धीरे-धीरे बढ़ने लगी। इसी बीच अमेरिका के खरीदार उपरोक्त नया फरमान लेकर आए हैं। ये हीरे और आभूषण रूसी रफ से तो नहीं बने हैं, ऐसा अमेरिकी खरीदार भारतीय उद्योगपतियों से पूछ रहे हैं, जिससे व्यापारियों की स्थिति विकट हो गई है। ऐसा बिल पर लिखने या न लिखने को लेकर कारोबारियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
हीरे के अमेरिकी खरीदारों ने रूसी रफ से बने हीरे या रूसी रफ से बने गहने खरीदने से इनकार कर दिया है। अंदेशा है कि अमेरिकी खरीदार ऐसे व्यापारियों पर प्रतिबंध लगा देंगे यदि उन्हें बाद में पता चलता है कि इस्तेमाल किए गए हीरे रूसी रफ हीरे थे। 
जीजेईपीसी के अध्यक्ष दिनेश नावडिया ने मीडिया को बताया है कि अमेरिकी खरीदारों ने रूसी कच्चे हीरे से बने हीरे पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। इस संबंध में भारतीय हीरा व्यापारियों को मेल द्वारा सूचना दी गई है। 
हीरा व्यापारी निलेश बोकड़ी ने कहा कि रफ की कमी से मांग बढ़ी है, वहीं नये फरमान से व्यापारी पशोपेश में पड़ गये हैं। रुस के रफ हीरे नहीं हैं, ऐसा बिल में लिखकर अमेरिका के व्यापारी मांग रहे हैं। दूसरी ओर रफ की कमी के कारण मांग बढ़ी है। 
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