सूरत : निलेश मांडलेवाला गुजरात के सर्वोच्च नागरिक सम्मान गुजरात गरिमा पुरस्कार से सम्मानित

सूरत :  निलेश मांडलेवाला गुजरात के सर्वोच्च नागरिक सम्मान गुजरात गरिमा पुरस्कार से सम्मानित

गुजरात स्थापन दिवस के अवसर पर पाटण में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के हाथों शॉल देकर सम्मानित किया

निलेश मांडलेवाला ने अंगदान के क्षेत्र में गुजरात को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है 
गुजरात में अंगदान गतिविधियों के अग्रणी नीलेश मंडलेवाला जिन्होंने अंगदान के क्षेत्र में गुजरात को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है। गुजरात गौरव दिवस पर पाटन में उनको गुजरात सरकार के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "गुजरात गरिमा पुरस्कार" से सम्मानित किया गया। 
सालों पहले सिर्फ एक बिजनेसमैन या फिर चैंबर के प्रेसिडेंट के तौर पर जाने जाने वाले नीलेशभाई की ये पहचान आज अधूरी मानी जाती है। आज वे अंगदान के माध्यम से कई लोगों की जीवनदायिनी बन गए हैं। उनके पिता को वर्ष 1997 में किडनी फेल हो गई थी और 2004 से उन्हें नियमित डायलिसिस से गुजरना पड़ा। इस दौरान उन्हें किडनी के अन्य मरीजों और उनके परिजनों की समस्याओं के बारे में पता चला। उनके पिता की किडनी की बीमारी ने नीलेशभाई के लिए एक नई चेतना और एक नई दिशा का खुलासा किया और वह था अंगदान।
उन्होंने 2006 में अंगदान अभियान शुरू किया था। एक तरफ जहां किसी रिश्तेदार की मौत हो गई हो, वहां आंसू भरे माहौल में किसी को अंगदान के लिए राजी करना आसान काम नहीं है। उस समय अंगदान के बारे में जागरूकता की कमी के कारण, जब वे ब्रेनडेड व्यक्तियों के रिश्तेदारों से मिलने अस्पताल गए, तो वे बिना किसी हिचकिचाहट के आईसीयू से बाहर निकले और ब्रेनडेड व्यक्ति के रिश्तेदारों तथा परिवारों को अंगदान करने के लिए मनाने की कोशिश की। 
वर्ष 2006 में सूरत से अंगदान-जीवनदान की ज्योति जलाने वाले नीलेशभाई मंडलेवाला आज भारत में अंगदान के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम हैं। 2006 में किडनी और लीवर डोनेशन से शुरू हुआ यह अभियान धीरे-धीरे अग्न्याशय, हृदय, हड्डियों, फेफड़े और हाथों को दान करने के लिए विस्तारित हुआ है। इन दान किए गए अंगों को न केवल गुजरात या भारत में बल्कि मुंबई और चेन्नई के अस्पतालों में संयुक्त अरब अमीरात, यूक्रेन, रूस, सूडान जैसे देशों के रोगियों में प्रत्यारोपित किया गया है।
सत्रह साल पहले जब अधिकांश वर्ग को ब्रेनडेड क्या है ? कौन से अंग दान किए जा सकते हैं? उसकी कोई जानकारी नहीं थी। ऐसे समय में जब लोग अज्ञानता, भय, धार्मिक मान्यताओं के कारण अंगदान के लिए आगे नहीं आ रहे थे, समाज में अंगदान के बारे में जन जागरूकता फैल गई है और लोग अंगदान के महत्व को महसूस कर रहे हैं। इस दिशा में उनके अथक प्रयासों के कारण उन्हें गुजरात में अंगदान का अग्रणी भी कहा जाता है।
भारत में कई संगठन अंगदान के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। लेकिन नीलेशभाई ने जिस तरह से इस काम की लौ को जलाए रखा है, उसके परिणामस्वरूप सूरत और गुजरात का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा है। अंगदान गतिविधियों में सूरत शहर और गुजरात को राष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान दिलाने वाले नीलेश मंडलेवाला ने सूरत और दक्षिण गुजरात के कुल 922 लोगों को 1009 अंग और ऊतक दान कर नया जीवन और नई दृष्टि देने में कामयाबी हासिल की है। 
माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी ने उनके कार्यों को नोट करते हुए सार्वजनिक मंच पर नीलेशभाई और उनके संगठन डोनेट लाइफ की अंगदान गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए कहा, “नीलेशभाई, आगे बढ़ो, गुजरात ही नहीं पूरा देश आपके साथ है ।"
वर्तमान प्रधान मंत्री और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री  नरेंद्र मोदी ने अंगदान के माध्यम से अंग विफलता के रोगियों को नया जीवन देने के लिए नीलेशभाई को उनके महान कार्यों के लिए प्रशंसा पत्र लिखा और आशीर्वाद दिया।
 गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजयभाई रूपाणी ने एक सार्वजनिक मंच पर उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि "आप लोगों को जीवन देने के लिए जो अच्छे काम कर रहे हैं, उसके कारण गुजरात की गरिमा और प्रतिष्ठा बढ़ी है।"
देश में हर साल पांच लाख से अधिक रोगियों की अंगदान नही मिलने के कारण मृत्यु हो जाती है। ऐसे अंगविफलता के मरिजों के लिए आशा का किरण जलाने वाले  निलेश मंडलेवाला, एक नवजीवन के रूप में जाने जाते हैं, पिछले सत्रह वर्षों से इस नेक काम के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है, जिनका उद्देश्य ऐसे रोगियों की मदद करना है। इस बात को संज्ञान में लेते हुए गुजरात सरकार ने पाटन में गुजरात गौरव दिवस के अवसर पर गुजरात सरकार के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "गुजरात गरिमा पुरस्कार" को राज्यपाल और मुख्यमंत्री के हाथों शॉल देकर सम्मानित किया।  

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