सूरत : सैकड़ों लोगों ने विहंगम योग में लीन होकर दिव्य चेतना की अनुभूति की

सूरत :  सैकड़ों लोगों ने विहंगम योग में लीन होकर दिव्य चेतना की अनुभूति की

सद्गुरु के उत्तराधिकारी विज्ञान देवजी ने विहंगम योग के माध्यम से आध्यात्मिक ऊर्जा का भंडार दिखाकर दिव्य चेतना का साक्षात्कार कराया

     स्वर्वेद महाग्रन्थ के प्रणेता और रचयिता सिद्धगुरु महर्षि सदाफल देवजी द्वारा चेतन विज्ञान का प्रचार करने के उद्देश्य से रविवार को सूरत के मंगीबा फार्म, सरथाना गढ़पुर रोड, सूरत में आयोजित विहंगम योग सत्संग समारोह और ध्यान योग शिविर में सैकड़ों लोग शामिल हुए। सत्संग और ध्यान शिविर के लिए भारत की आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी से सूरत पहुंचे अनंत सद्गुरु स्वतंत्र देवजी की पवित्र उपस्थिति में विज्ञान की आध्यात्मिक आवाज प्रस्तुत की गई। स्वर्वेद वाणी का परिचय देते हुए विज्ञान देवजी महाराज ने कहा कि हम कौन हैं? यह ब्रह्मांड क्या है? मैं और इस ब्रह्मांड के निर्माता कौन हैं, यदि आप इसका चिंतन करोंगे तो इसका उत्तर खोजने का इच्छा जागेगी।    
ध्यान शिविर की शुरुआत में सद्गुरु के उत्तराधिकारी विज्ञान देवजी महाराज ने कहा कि सभी कठिनाइयों के बीच  सुखी जीवन जीने की कला विहंगम योग है। द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने मन पर नियंत्रण रखने के लिए अर्जुन को जो ज्ञान दिया था उसका नाम विहंगम योग है। बाद में हजारों श्रोताओं को व्यावहारिक रूप में ब्रह्मविद्या विहंगम योग प्रस्तुत किया गया। सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा निर्देशित, 45 मिनट तक लगातार ध्यान किया गया और केवल एक सांस की क्रिया को महसूस करके दिव्यचेतन और ईश्वर तक पहुंचने की सरल विधि सिखाई गई। विहंगम योग ने भी दिव्य अनुभूति के साथ ओम की ध्वनि को प्रतिध्वनित किया। श्रोताओं को योग का आनंदमय अनुभूत कराई।  
सद्गुरु स्वतंत्र देवजी
 अध्यात्म के अद्भुत दृश्यों को देखने के लिए हजारों लोगों के एक साथ 45 मिनट तक ध्यान मग्न हो जाने से शिविर में अध्यात्मिक का अद्भुत दृश्यों को देखने को मिला। विहंगम योग की सरल क्रियात्मक अभ्यास विधि सिखाने के बाद, सद्गुरु के उत्तराधिकारी विज्ञान देवजी महाराज ने इसके लाभों के बारे में बताया। विहंगम योग से सतत अभ्यास से मानसिक तनाव, ब्लडप्रेशर, अनिद्रा  इत्यादि जैसे रोगों  से भी प्रत्यक्ष- परोक्ष रुप से मुक्ति मिलती है।  जिससे आध्यात्मिक और भौतिक लाभ होता हैं। सद्गुरु उत्तराधिकारी विज्ञान देवजी महाराज ने आगे कहा कि विहंगम योग की सरल विधि के लाभों पर देश-विदेश के कई वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। विहंगम योग चेतन विज्ञान है, कोई मत या संप्रदाय नहीं।
  नवसारी के वांसदा स्थित दंडकवन आश्रम और विहंगम योग गुजरात संत समाज द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में गोवर्धनभाई जडाफिया, पी.पी. स्वामी, गुजरात राज्य के उर्जा मंत्री मुकेश भाई पटेल, कातिंभाई बलर, वी.डी. झालावाडिया, दिनेशभाई नावडिया,  प्रफुल्लभाई शिरोया, लीलाबेनआंकोलिया, धीरूभाई गजेरा, महेंद्रभाई कतारगामवाला आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में  स्वर्वेद की संगीतमय वाणी तथा भजन भी प्रस्तुत किए गए। सत्संग और ध्यान शिविर के समापन के पश्चात श्रद्धालुओं ने महाप्रसाद का लाभ लिया। 
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