सूरत : पुरानी मांगे पुरी न होने पर सरकारी चिकित्सक हडताल पर

सूरत : पुरानी मांगे पुरी न होने पर सरकारी चिकित्सक हडताल पर

चिकित्सकों ने इससे पुर्व तीन बार हडताल की थी तभी सरकार ने मांगे पुरा करने का दिया आश्वासन दिया था जो अभी तक पुरी नही हुई

सूरत सिविल अस्पताल में 700 चिकित्सक हडताल में जुडने से मरीजों को हुई परेशानी
कोरोना के समय दौरान दिन रात डयुटी पर तैनात रहनेवाले डॉक्टरों की मांग पूरी नहीं होने पर राज्य के 10 हजार से ज्यादा सरकारी डॉक्टर आज से हड़ताल पर चले गए हैं। डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर सूरत सहित समग्र राज्य में  प्रदर्शन कर रहे हैं। डॉक्टरों ने मांग पूरी होने तक हड़ताल जारी रखने की धमकी दी है। अपनी मांगों के मुद्दे को लेकर डॉक्टर अब तक चार बार हड़ताल पर हैं, लेकिन सरकार ने केवल मौखिक आश्वासन के साथ हड़ताल वापस ले ली है। इस बार डॉक्टर तब तक लड़ने के मूड में है जब तक उनका सवाल हल नहीं हो जाता। उल्लेखनीय है कि डॉक्टरों की हड़ताल के चलते अस्पताल में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 
पिछले 3 वर्षों से डॉक्टरों के ग्रेड पे में सुधार, क्षेत्रीय रोटेशन भत्ता, कोरोना वारियर्स के अनुसार भत्ते की गणना और पुरानी पेंशन योजना को लागू करने और पदोन्नति की मांग कर रहे हैं। गुजरात में 10,000 से अधिक सरकारी डॉक्टर आज सोमवार  से अनिश्चित काल के लिए हड़ताल पर चले गए हैं। डॉक्टर अपनी मांगों को पूरा करने की मांग को लेकर आज दिन भर शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन किया। उधर, स्वास्थ्य कर्मियों ने मांग की है कि सत्याग्रह शिविर में नर्सों, एफएचडब्ल्यू, लैब-तकनीशियन, स्टाफ नर्स जैसे 7 अलग-अलग वर्ग के कर्मचारी आए हैं। तीन बार मांगों को लेकर हडताल करने पेश के बाद भी मांगों को पूरा नहीं किया गया है। ग्रेड वेतन में वृद्धि 1900 से 2800 के पुराने ग्रेड वेतन को बढ़ाने, पुरानी पेंशन योजना को लागू करने, पदोन्नति सहित मांगों को सरकार द्वारा आज तक निपटाया नहीं गया है।
सूरत में 700 से ज्यादा डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। लंबे समय से एनपीए की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार द्वारा इसे पूरा नहीं किया गया है। समय पर मिलने वाले भत्ते भी नहीं दिए जाते। टीकू आयोग भी लागू किया जाए, जो डॉक्टरों को भी वंचित कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि सरकार द्वारा जारी किए जाने के बाद भी इसे लागू नहीं किया गया है, जिससे डॉक्टरों में नाराजगी है। वर्षों से हमारी लंबित मांगों के बावजूद, सरकार ने हमारी मांगों को पूरा नहीं किया और आखिरकार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई।
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