सूरत : 100 करोड़ के खर्च पर भगवान महावीर मल्टी स्पेशियालिटी अस्पताल एंड रिसर्च सेन्टर का भुमिपूजन

सूरत :  100 करोड़ के खर्च पर भगवान महावीर मल्टी स्पेशियालिटी अस्पताल एंड रिसर्च सेन्टर का भुमिपूजन

उत्तरप्रदेश के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल एवं गुजरात के मुख्यमंत्री भुपेन्द्र पटेल के हाथों महावीर युनिवर्सिटी केम्पस में मल्टी स्पेशियालिटी अस्पताल का भूमिपूजन तथा कोन्सेप्ट स्कूल का लोकार्पण किया गया

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा मुख्यमंत्री भुपेन्द्र पटेल की उपस्थिति में कोन्सेप्ट स्कूल का लोकार्पण
भगवान महावीर युनिवर्सिटी केम्पस वेसू में उत्तरप्रदेश के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा गुजरात के मुख्यमंत्री भुपेन्द्रभाई पटेल की उपस्थिति में 100 करोड़ की लागत से भगवान महावीर मल्टी स्पेशियालिटी अस्पताल एन्ड रिसर्च सेन्टर का भुमिपूजन तथा 46 करोड़ की लगात से इंटरनेशनल केम्ब्रिज बोर्ड मान्यता प्राप्त अल्ट्रा मोर्डन भगवान महावीर कोन्सेप्ट स्कूल का लोकार्पण किया गया। 
इस अवसर पर मुख्यमंत्री भुपेन्द्र पटेल ने कहा कि शिक्षा संस्कृति की पोषक है। इस बात पर जोर देते हुए कि न केवल पारंपरिक शिक्षा बल्कि समग्र दृष्टिकोण के साथ नवीन और ज्ञानवर्धक शिक्षा की भी जरूरत है, जब सरस्वती हमेशा दोष को दूर करनेवाली और मुक्ती देने वाली होती है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि कौशल और ज्ञान के साथ छात्रों में संस्कृति और भावना पैदा करना आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने यह उल्लेख करते हुए कहा कि गुजरात आज स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक वैश्विक गंतव्य के रूप में उभर रहा है, उन्होंने कहा कि राज्य के विकास को राष्ट्रीय स्तर पर न केवल स्वास्थ्य सेवा में बल्कि शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में एक मॉडल राज्य के रूप में देखा जा रहा है। 
बच्चे के मजबूत भविष्य को आकार देने की जिम्मेदारी हम सबकी जिम्मेदारी बताते हुए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबहन पटेल ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि सूरत के इस भगवान महावीर कॉन्सेप्ट स्कूल में बच्चों को 'बिना बोझ के सीखने' की सुविधा मिलेगी। और यह विचार प्रस्तुत किया कि कक्षा 5 तक केवल मातृभाषा में ही अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने यहां स्कूल में राष्ट्रवाद के साथ देश के लिए योगदान करने की 'वन वीक फॉर नेशन' पहल की भी सराहना की। राज्यपाल श्रीमती आनंदीबहन पटेल ने दुनिया भर के एक शोध का हवाला देते हुए कहा कि वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं द्वारा मानव जीवन के लिए उपयोगी प्रयोगों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। जब तक कोई बच्चा 8 वर्ष की आयु तक पहुंचता है, तब तक उसे जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं का 80 प्रतिशत ज्ञान प्राप्त हो जाता है। नई शिक्षा नीति के अनुसार, बच्चे के हितों के अनुकूल शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने का समय आ गया है।
इस अवसर पर वाघाणी, सड़क और भवन मंत्री पूर्णेश मोदी, शिक्षा मंत्री श्री जीतूभाई  गृह राज्य मंत्री हर्षभाई सांघवी, महापौर श्रीमती हेमालीबेन बोघावाला, मनपा आयुक्त  बंछनिधि पाणि, कलेक्टर आयुष ओक, पुलिस  आयुक्त अजयकुमार तोमर सहित ट्रस्टी संजय जैन और अनिल जैन सहित गणमान्य व्यक्ति, छात्र उपस्थित थे।
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