सूरत : नगर की होली की ये पारम्परिक प्रथा पुनर्जीवित की गई, आप भी जानें इसकी खासियत

सूरत : नगर की होली की ये पारम्परिक प्रथा पुनर्जीवित की गई, आप भी जानें इसकी खासियत

दो दशकों से शहर में नहीं निकल रहा था होली पर घिस का जुलुस, पुलिस आयुक्त के प्रयासों से पुनर्जीवित की गई परम्परा

सूरत शहर एक हिसाब से भारत का प्रतिरूप है। यहां हर धर्म के और हर प्रदेश के लोग बड़ी ही शांति से रहते है। इस शहर में रहने वाले लोगों की अपनी अलग परंपरा, अपनी अलग रीति है। सूरत से जुड़ी प्रथा या परंपरा में में कोट क्षेत्र में होली के त्योहार के बाद निकलने वाली घिस की परंपरा भी शामिल है। पिछले दो दशकों से शहर जनों द्वारा भुला दी गई इस परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए एक कदम उठाया गया है।
इसी उद्देश्य से रविवार को महिधरपुरा की सड़कों पर ढोल-नगाड़ों के साथ घिस का एक भव्य जुलूस निकाला गया, जिसे सती माता का वरघोड़ा या जिसे होली का वरघोड़ा भी कहा जाता , निकाला गया। उसे देखने के लिए सूरतियों की भीड़ जमा हो गई थी। जुलूस में पुलिस आयुक्त अजय तोमर समेत 50 से 150 स्थानीय लोग शामिल हुए, जिसके साथ युवक की होली मां की तस्वीर भी थी। प्रत्येक समूह का अपना झंडा था।
बता दें कि 1947 में शुरू हुई इस परंपरा को पिछले 15 सालों से भुला दिया गया है। इस परंपरा में होली के बाद, एक विशिष्ट दिन तय कर और क्षेत्र के विभिन्न गलियों में जुलूस निकाला जाता है। रविवार को पुरानी यादें ताजा करने के लिए एक बार फिर घीस यात्रा निकाली गई। इस बीच स्थानीय लोगों द्वारा यादें ताजा करने और बुजुर्गों की परंपरा का स्वागत करने के लिए महिधरपुरा की कई गलियों को रंगोली और रोशनी से सजाया गया। दलिया शेरी, घिया शेरी, जदाखाड़ी, लिंबू शेरी समेत सड़कों पर महिलाओं और युवाओं ने यात्रा निकाला।
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