रोजाना 12 से 15 घंटे काम कर माइक्रोबायोलॉजी विभाग एक ही महीने में 1.60 लाख से ज्यादा कोरोना का आरटी-पीसीआर टेस्ट किया
कोरोना की तीसरी लहर में सूरत के नई सिविल अस्पताल का माइक्रोबायोलॉजी विभाग के 106 डॉक्टर और तकनीशियन 7000 से अधिक नमूनों की जांच करते हैं। मात्र जनवरी-22 के दौरान टीम ने 1.60 लाख से अधिक आरटी-पीसीआर परीक्षण किए। इस दौरान इन कर्मियों द्वारा प्रतिदिन 12 से 15 घंटे लगातार कार्य किया जाता था। ये कर्मी चौबीसों घंटे 24×7 घंटे काम कर रहे हैं ताकि कोरोना मुक्त रोगियों को शीघ्र चिकित्सा उपचार की उपलब्धता के साथ तेजी से ठीक होने में मदद मिल सके। भले ही उनका काम तीन पारियों में विभाजित है, उन्होंने ओवरटाइम काम किया है और 24 घंटे के भीतर डॉक्टरों को रिपोर्ट सौंप कर समाज के प्रति अपने कर्तव्य का ईमानदारी से पालन किया है।
प्रयोगशाला में ऑन-ड्यूटी चिकित्सकों और तकनीशियन कर्मचारियों, कंप्यूटर ऑपरेटरों और नौकरों सहित 106 कर्मियों को आरटी-पीसीआर परीक्षण कार्य कर रहे हैं। प्रतिदिन 7,000 से अधिक नमूनों का परीक्षण किया जाता है। मरीज की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव या नेगेटिव आने के बाद ही डॉक्टरों की भूमिका शुरू होती है। इसलिए किसी मरीज का इलाज पूरी तरह से सैंपल की सही जांच के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। ऐसे में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के गुणवत्ता नियंत्रण और रखरखाव की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है, लेकिन इस लैब का हर स्वास्थ्यकर्मी अपनी ड्यूटी को प्राथमिकता दे रहा है। नई सिविल अस्पताल में प्रतिदिन 7000 से अधिक नमूनों की होती है जांच
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. सुमेया मुल्लां ने कहा कि लैब स्टाफ पहली और दूसरी लहर में जिस तरह काम की थी, उससे अधिक तैयारी के साथ दिन-रात देके बिना तीसरी लहर में विशेष रुप से काम कर रहा है। तीसरी लहर में, जनवरी में, कोविड परीक्षण स्टाफ के बढ़ते भार के साथ, शिफ्टवाइज खुद 32 से 33 घंटे तक ड्यूटी पर रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 की समय पर रिपोर्टिंग के लिए एक नई प्रयोगशाला सुविधा स्थापित की गई है, जिससे परीक्षण कार्यों में काफी सुविधा हुई है। विभाग में 49 तकनीकी कर्मचारी, 10 सर्वेन्ट, 18 डॉक्टर, 29 डाटा आपरेटर और कुल 106 कर्मचारी ड्यूटी पर हैं। इनमें से 12 कोरोना से संक्रमित थे, और सभी ठीक होकर ड्यूटी पर लौट आए हैं।
नई सिविल अस्पताल में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत लालदरवाजा सिटी सेंटर सोसायटी में रहने वाली डॉ. डिंपल जेठवा चौहान ने कहा कि कोविड की शुरुआत से ही माइक्रोबायोलॉजी लैब टेस्टिंग एवं रिपोर्टिंग में कार्यरत हूं। कोरोना की दूसरी लहर में कोरोनाग्रस्त पिता की छत्रछाया खो दिया, जिससे कोरोना से थोड़ा डर जरुर लग रहा था, लेकिन ड्यूटी की बात आने पर कोरोना का सामना करने के लिए तैयार था। मेरा 7 साल का बेटा शिव और 13 साल की बेटी खनक दोनों को कोरोना होने से से हतोत्साहित हो गया था। लेकिन मैं उनकी देखभाल के साथ-साथ कोविड में भी अपनी ड्यूटी करने को तत्पर रही हूं। तीसरी लहर में जनवरी के महीने में कोरोना टेस्टिंग को बढ़ाने के लिए दिन-रात काम किया, जिसमें परिवार के सभी सदस्यों ने सहयोग किया है, इसलिए मैं परिवार का भी आभारी हूं।