
सूरत : कारीगरों की मजूदरी बार-बार बढ़ी , लेकिन ग्रे जॉब वर्क की दरों में वर्षों से नहीं हुई बढ़ोत्तरी
By Loktej
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सभी खर्च निकालने के बाद जॉबवर्करों के हाथ में ज्यादा कुछ नहीं बचता
सूरत शहर के टेक्सटाइल उद्योगों में से वीविंग जॉबवर्क से ग्रे उत्पादन करने वाले कारखानदारों की स्थिति दयनीय हो गई है। ग्रे की मजदूरी दर कई वर्षों से नहीं बढ़ी है। जबकि कारीगरों की मजदूरी की दरें बार-बार बढ़ती रही हैं। व्यापारी ग्रे की मजदूरी 3.80 रुपये से 4.50 रुपये अलग अलग क्वालिटी के मुताबिक चुकाते है। कारीगरों की मजदूरी, मास्टर, सुपरवाइजर के फिक्स खर्च और ट्रांसपोर्टेशन खर्च के बाद कारखानदारों के हाथ में कुछ नहीं बचता। सिर्फ चलाने के लिए इकाइयों को चलाना पड़ता है ऐसी हालत है।
वीविंग उद्योग में मैन्युफैक्चरर्स और जॉब वर्क की हिस्सेदारी 35-65 प्रतिशत होने का अनुमान है। जॉबकर्व कने वाले कारखानदार व्यापारी प्रोग्राम देंगे तभी इकाइयाँ शुरू रख सकते है। पूंजी की तंगी से जूझ रहे कारखानदार ग्रे का मेन्युफेक्चरिंग करने की हिम्मत नहीं करते और जॉबवर्क करके कारोबार का रोटेशन जारी रखते है। ग्रे का निर्माण करने की हिम्मत नहीं करते और जॉब वर्क करके कारोबार का रोटेशन जारी रखते हैं। वीविंग उद्योग का संकट कभी कम नहीं हुआ है। पूरी इंडस्ट्री परेशान हो रही है क्योंकि किसी को किसी न किसी वजह से परेशानी हो रही है। जॉबवर्क की इकाइयां दिवाली के बाद भी व्यवस्थित चल रही है। लेकिन पिछले 15-20 दिनों से कामकाज बहुत कम है।
जीएसटी की दर में बदलाव की घोषणा से जॉबवर्क के काम में गिरावट आयी है। मजदूरी दरों पर 12 जीएसटी लगने की आशंका के चलते नए प्रोग्राम बंद कर दिए गए। हालांकि अभी दरों में बदलाव नहीं होगा ऐसी घोषणा के बाद काम शुरू हो गया है। लेकिन अभी पर्याप्त कामकाज नहीं है।
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