सूरत : ब्रेनडेड महिला के अंगदान से 7 लोगों को मिली नई जिंदगी

सूरत : ब्रेनडेड महिला के अंगदान से 7 लोगों को मिली नई जिंदगी

सूरत में ब्रेनडेड महिला के अंगदान से अंगविफलता के ७ मरीजों में दिल, फेफड़े, किडनी, लीवर और आंखों का प्रत्यारोपण करके उन्हे नयी जिंदगी प्रदान की गयी

दिल, फेफड़े, किडनी, लीवर और आंखें डोनेट की, 100 मिनट में अहमदाबाद पहुंचा दिल
मुंबई से 295 किमी की दूरी 110 मिनट में काटी और फेफड़ा ट्रांसप्लांट किया गया
सूरत अंगदान करने वाले शहर के रूप में पहचान बना चुंके सूरत शहर से अंगदान का एक और मामला सामने आया है जो । जिसमें ब्रेईन डेड अस्तिका जिग्नेशभाई पटेल उम्र 43  के परिजनों ने डोनेट लाइफ संस्था के जरिए दिल, फेफड़े, किडनी, लीवर और आंखें दान कर दिए हैं। सात लोगों को जिंदा कर मानवता की खुशबू फैलाकर समाज को नई दिशा दिखाने का काम किया है।  सूरत के आईएनएस अस्पताल से अहमदाबाद तक की 277 किलोमीटर की दूरी को 100 मिनट में काटकर हृदय प्रत्यारोपण अहमदाबाद के सिम्स अस्पताल में अमरेली के 17 वर्षीय छात्र में किया गया है। मुंबई तक 295 किमी की दूरी 110 मिनट में तय करने के बाद मुंबई के निवासी 56 वर्षीय महिला में मसीना अस्पताल में फेफड़े का प्रत्यारोपण किया।
जिग्नेशभाई पटेल, राजपूत फालियु, भिनार गांव, जलालपुर, जी. नवसारी निवासी और नवसारी बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में चालक के रूप में कार्यरत हैं। 12 दिसंबर को वह अपनी पत्नी अस्तिका के साथ मोटरसाइकिल से नवसारी अपने रिश्तेदारों से मिलने जा रहा था।
उसकी पत्नी अस्तिका भीनार नवसारी रोड रेलवे ब्रिज के पास सगड़ा के पास मोटरसाइकिल से गिर गई और सिर में गंभीर चोट लगने से बेहोश हो गई। उन्हें नवसारी के यशफीन अस्पताल ले जाया गया जहां उनका सीटी स्कैन कराया गया जिसके रिपोर्ट में  ब्रेन हैमरेज  का खुलासा हुआ। वहां प्राथमिक उपचार देने के बाद परिजनों ने उसे न्यूरोफिजियोलॉजिस्ट डॉ. मनोज सत्यवाणी के इलाज में आईएनएस अस्पताल सूरत में भर्ती कराया। मंगलवार 14 दिसंबर को आईएनएस अस्पताल के डॉक्टरों ने अस्तिका को ब्रांडेड घोषित कर दिया। डोनेट लाइफ की टीम अस्पताल पहुंची और अस्तिका के परिवार को अंगदान का महत्व और इसकी पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया।
अस्तिका के पति जिग्नेश ने कहा, "हम एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं।" जीवन में हम कुछ भी दान नहीं कर सकते हैं आज, जब मेरी पत्नी अस्तिका ब्रेन डेड हो गई है, तो उसके अंग दान करके अपने अंग विफलता रोगियों को फिर से जीवंत करें। उन्होंने कहा " हम अक्सर अखबारों में अंगदान के बारे में पढ़ते हैं, यह एक ईश्वरीय कार्य है। हमने यह निर्णय बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के प्रमुख पी. पूज्य महंतस्वामी महाराज के आशीर्वाद और प्रेरणा से लिया। उसका बेटा वंदन कक्षा-10 में पढ़ता है।
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